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जेल बार्डरों द्वारा परेशान किये जाने पर पीड़ित ने एसपी को दिया ज्ञापन

उरई/जालौन। जिला कारागार में जेल वार्ड पद पर तैनात पीड़िता ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन पुलिस अधीक्षक रवि कुमार को सौंपते हुए न्याय की गुहार लगाई। जेल बार्डरों द्वारा परेशान करने पर स्थानांतरण अन्य जनपद में करवाने की मांग की।
जिला कारागार में जेल बार्डर पद पर तैनात पीड़ित राम प्रकाश दुबे ने एसपी को ज्ञापन देते हुए बताया कि बीते दिन 8 सितम्बर 2021 को वह अपनी ड्यूटी पर निर्धारित समय शाम की पाली में शाम 6 बजे से पहुंचे जहां पर उसकी ड्यूटी मैन वाल की सुरक्षा में लगाई गई थी। जो अपनी कर्तव्यनिष्ठा के साथ ड्यूटी कर रहा था। तभी लगभग रात को 9 बजे जेल बार्डर सुधीर कुमार द्वारा गेट पर चलने को कहा। पीड़ित उसके साथ जब गेट पर आया तो वहां पर पहले से मौजूद वीरेन्द्र प्रताप सिंह एवं दिलीप कुमार हेड वार्डर व कारापाल सुनीत कुमार के साथ खड़े थें। इसके बाद हेड बॉर्डर द्वारा अस्पताल ड्यूटी पर जाने को कहा गया। जिस पर पीड़ित ने अस्वस्थता जताई। उसने कहा विगत कई माह से दिन ड्यूटी कर लोगों को अस्पताल भेजने की बात कही। तभी हैड जेल बार्डर दिलीप कुमार द्वारा अपशब्दों का प्रयोग करते हुए बीरेन्द्र प्रताप सिंह को ललकारा और कहा कि इसे मारो जब यह बात पीड़ित ने कारापाल से की तो उन्होंने भी अपने खास चहेते जेल बार्डर वीरेन्द्र प्रताप को देख लेने को कहा। तभी वीरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा मां बहन की गाली देते हुए उसके गले को दबाकर सिर दीवार में दे मारा जिससे पीड़ित का सिर फट गया। पीड़ित अचेतना की स्थिति में पहुचं गया। सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उसकी जान भी जा सकती थी। उन्होनें कहा कि कारापाल नशे का आदी है। इसके पहले आवास आवंटन के लिए 10 हजार रूपये की मांग की गई थी। जिसे देने में उसने असमर्थता जताई। वीरेन्द्र प्रताप का स्थानीय अपराधियों से घनिष्ठ संबंध है जिससे सुविधा शुल्क लेकर अनाधिकृत सामान उपलब्ध कराया जाता है। जिसे जेलर की भी सहमति रहती है। इसमें हैड वार्डर दीलिप कुमार का पूरा सहयोग होता है। उसने कहा कि पीड़ित दूर के जनपद आजमगढ़ का रहने वाला है। प्रार्थी के साथ यह लोग मिलकर कभी भी कोई घटना घटित कर सकते है। सुरक्षा की दृष्टि से पीड़ित ने अपना स्थानान्तरण बनारस मण्डल अथवा अयोध्या मण्डल में करवाने की मांग की। उसने कहा कि जेल बार्डरों के कारण पह काफी भयभीत है। शिकायती पत्र को गंभीरता से लेते हुए उक्त प्रकरण की न्यायिक जांच कराई जायें तथा दोषी पाये जाने पर दोषियों पर कडी कार्यवाही की जायें।

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