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आवारा पशुओं का सड़कों पर हुआ कब्जा, ग्रामीण सहित दुकानदार हो रहे परेशान

जगम्मनपुर बाजार में अन्ना जानवरों के घूमने एवं सड़कों पर जाम लगा देने से यातायात बाधित होने के कारण दुकानदार एवं ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। माधौगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम जगम्मनपुर चार जनपद जालौन, इटावा, औरैया, भिंड की नदियों के तटवर्ती क्षेत्र का एकमात्र ग्रामीण बाजार है यहां पर प्रति गुरुवार रविवार को साप्ताहिक हाट लगती है जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण ग्राहक एकत्रित होकर सामान की खरीद फरोख्त करते हैं, वही चार जनपद के सीमावर्ती एवं नेशनल हाईवे मुगलरोड मात्र 20 किलोमीटर दूर होने के कारण यहां से अंतर्प्रांतीय वाहनों की अधिक संख्या में आमद दरफ्त रहती है। जगम्मनपुर देसी रियासत काल का प्राचीन बाजार होने से सड़कें भी पर्याप्त चौड़ी नहीं है उस पर दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण रास्तों को और अधिक संकुचित कर देता है। इस पर कोढ़ में खाज वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए जगम्मनपुर बाजार में आवारा जानवर गधा, खच्चर, घोड़ा, सुअर एवं अन्ना गाय मध्य सड़कों पर कब्जा करके यातायात बाधित कर देते हैं। गधा, खच्चर, घोडा जिस समय उछल उछल कर जब दुलत्ती चलाते हैं और हिनहिना कर एक दूसरे को खदेड़ते हुए रेस लगाते हैं तब विकट संकट की स्थिति हो जाती है और बाजार में भगदड़ मच जाती है इस कारण कई बार अनेक लोग इनकी चपेट में आकर चुटिहाल भी हो चुके हैं। आलम यह है कि सूअर बजबजाते कीचड़ से निकलकर सब्जी, गल्ला, गुड, किराना आदि विक्रेताओं की दुकान में रखे खाद्य सामग्री में मुंह मार कर दुकानदार एवं ग्राहक का मन खराब कर देते हैं। किसी साइकिल, मोटरसाइकिल में लटके थैले में रखे सामान सब्जी आदि को खाने के लिए यह वाहन को गिराकर थैले को फाड़कर उन्हें चट कर जाते हैं , इसी तर्ज पर अन्ना गाय सांड, बछडा, बछिया सब्जी, किराना, मिष्ठान आदि के दुकानदारों अथवा ग्राहकों के लिए मुसीवत बने हैं, यह आवारा पशु खाद्य सामग्री पर डकैती जैसी डालकर उन्हें चट कर जाते है। परेशानी की स्थिति उस समय भी हो जाती है जब इन आवारा जानवरो का दल बाजार सड़क पर अपना कब्जा जमा लेता हैं और यातायात को बाधित कर वाहनों को नहीं निकलने देतेे है जिससे जाम लग जाता है। ग्राम प्रधान प्रज्ञादीप गौतम ने उक्त विषय पर चिंता करते हुए गधा, घोड़ा खच्चर एवं सुअर पालकों को अपने अपने जानवर बांध कर रखने के लिए आगाह किया है। लेकिन निरंकुश पशुपालक अन्ना गायों से अपने जानवरों की तुलना कर उन्हें बांध कर रखने अथवा जंगल में ले जाकर चराने की ज़हमत नहीं उठा रहे है।

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