कानपुर।स्वंतत्रता सेनानी एक्सप्रेस में 16 फरवरी को पेंट्रीकार में रखे सूटकेस में मिली 1.40 करोड़ रुपये की नकदी का दावेदार सामने आ गया है। जीआरपी ने आयकर विभाग को इसकी जानकारी भी दे दी है। ट्रेन में दिल्ली से आए सूटकेस के संबंध में 10 दिन से ज्यादा समय तक यही विवाद होता रहा कि आखिर ये रुपया किसका है और कौन इसे रखेगा।
इस बीच गाजियाबाद की टेलीकॉम सेक्टर में सर्विस देने वाली कंपनी बी4एस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ने राजकीय पुलिस बल (जीआरपी) कानपुर सेंट्रल स्टेशन के अधिकारियों को पत्र भेजकर यह राशि अपनी होने का दावा किया। कंपनी का कहना है कि उसने इस धन को लखनऊ में अपने आँफिस के कर्मचारियों का वेतन बांटने के लिए भेजा था। जीआरपी ने इस पत्र की जानकारी आयकर विभाग को भी दी। आयकर विभाग ने अभी तक इस कंपनी के बारे में जानकारी हासिल की है। टेलीकॉम सेक्टर में सर्विस देने वाली कंपनी का लखनऊ में तो आफिस है ही, इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई ब्रांच आँफिस हैं। अधिकारियों के मुताबिक जीआरपी के पास कंपनी का यह पत्र 28 फरवरी को आ गया था। इसके बाद एक मार्च को आयकर विभाग ने यह रकम अपने कब्जे में कर ली थी।
वहीं विधि के जानकारों का कहना है कि, इसके पीछे सोची समझी रणनीति है। रुपये कहीं कानूनी दांव पेंच में न फंस जाएं इसलिए मामले में आयकर विभाग के शामिल होने तक दावेदार शांत रहे। चूंकि कोर्ट के बजाय आयकर विभाग से रुपये लेना आसान है, इसलिए अब जब आयकर विभाग ने रुपये बैंक में जमा करा दिए तो रुपयों पर दावा कर दिया गया। अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित बताते हैं कि जीआरपी मुकदमा दर्ज करती तो रुपये केस प्रापर्टी हो जाते, जिसके बाद आपराधिक मुकदमा चलता और कोर्ट से ही रुपये रिलीज होते। चूंकि कोर्ट में कानूनी प्रक्रिया लंबी चलती है, ऐसे में आयकर विभाग के शामिल होने तक रुपयों पर दावा नहीं किया गया।(न्यूज़ एजेंसी)