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कुष्ठ मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने का संकल्प

उरई/जालौन। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय कुष्ठ निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत जिला पुरुष चिकित्सालय परिसर में स्पर्श कुष्ठ जागरुकता कार्यक्रम के तहत कुष्ठ मुक्त भारत बनाने के अभियान को सफल बनाने का संकल्प लिया गया। इस दौरान एकदर्जन कुष्ठ रोगियों को दवा और उपकरण देकर उन्हें सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. ऊषा सिंह ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश को कुष्ठ मुक्त करने का संकल्प लिया है। कुष्ठ रोग की व्यापकता दर दस हजार आबादी पर जीरो प्रतिशत तक लाना है। फिलहाल जिले में 0.41 प्रतिशत है। जिला कुष्ठ अधिकारी ड. सत्यप्रकाश ने बताया कि इस समय जिले में दवा लेने वाले कुष्ठ रोगियों की संख्या 72 है। जबकि इस साल 146 रोगियों को नियमित दवा के माध्यम से कुष्ठ से मुक्ति दिला दी गई है। कुष्ठ से विकलांगता वाले मरीजों की संख्या चार है। उन्होंने कहा कि कुष्ठ से घबराए नहीं बल्कि इलाज कराए। इसका सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज के साथ दवा भी दी जाती है। एमडीटी औषधियों को नियमित और पूरी अवधि यानी 6 व 12 माह लेने से कुष्ठ रोग पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। कुष्ठ रोग किसी को भी हो सकता है। कुष्ठ रोग के प्रारंभिक लक्षण उत्पन्न होते ही एमडीटी (मल्टी ड्रग्स थेरेपी) औषधि सेउपचार के बाद रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। यह रोग छूने और हाथ मिलाने से नहीं फैलता है। रोगी के लगातार संपर्क में रहने से यह रोग फेलता है। जिला कुष्ठ परामर्शदाता डा. मदन मोहन ने बताया कि स्पर्श कुष्ठ जागरुकता अभियान 30 जनवरी से 13 फरवरी तक आयोजित किया जाना है। जिसमें सभी ग्राम व शहरी क्षेत्रों में कुष्ठ का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा, जिससे ज्यादा से ज्यादा संभावित कुष्ठ रोगियों का चिह्निकरण किया जा सके। कुष्ठ रोग माइक्रो वैक्टीरियम लेप्रे नामक जीवाणु के कारण होने वाली संक्रामक बीमारी है। यह मुख्य रुप से आंखों, त्वचा और नसों को प्रभावित करती है। अगर इसका समय से इलाज नहीं किया जाता है तो रोगी दिव्यांग भी हो सकता है। अगर शरीर के किसी भाग पर गुलाबी धब्बे, सुन्नपन, महसूस होना, उस स्थान पर पसीनान आना, गांठ पड़ जाना, जरूरत से ज्यादा मोटा या कड़ा हो जाना, यह कुष्ठ रोग के लक्षण है। कु्ष्ठ रोग को दो भागों में बांटा गया है। इसमें पोसीवेस्लरी कुष्ठ रोग में पांच या उससे कम दाग होते है। इसका इलाज छह माह चलता है। जबकि मल्टी वेस्लरी कुष्ठ रोग में पांच से अधिक दाग धब्बे होतेहै। इसका इलाज 12 माह चलता है। अगर समय रहते इसका इलाज नही होता है तो विकलांगता हो सकती है। कई केस में विकलांगता सर्जरी से भी दूर नहीं की जा सकती है। यह रोग छूने और हाथ मिलाने से नहीं फैलता है। रोगी के लगातार संपर्क में रहने से यह रोग फेलता है।

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