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प्रशासनिक अधिकारियों के सामने ही उड़ी कोविड-19 के नियमों की धज्जियां

न सोशल डिटेंस और न ही मुँह पर मॉस्क
उरई/जालौनजैसा कि सभी को ज्ञात है कि आज पूरा विश्व एक भयानक महामारी से ग्रसित है जिसकी वजह से न जाने कितनों के रोजगार व परिवार खत्म हो गए। जिसके बचाव हेतु वैज्ञानिक इस महामारी से निपटने के लिए दिन न रात एक कर दवाई की खोज में लगे हुए हैं। लेकिन जब तक इस महामारी से निपटने के लिए कोई दवा नहीं बन जाती तब तक डब्ल्यूएचओ ने विश्व के सभी नागरिकों से सुरक्षित रहने के लिए या कहें संक्रमित होने से बचने के लिए कुछ उपाय बताएं जैसे सोशल डिस्टेंस बनाये रखना और मुँह पर मॉस्क लगाना आदि। लेकिन जिस तरह कोविड के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं उससे ही ऐसा ही लगता है कि लोगों को अपनी जान के साथ साथ दूसरों की भी जान की परवाह नहीं है।
इसी क्रम में भारत में किसानों द्वारा कृषि बिल के विरोध धरना प्रदर्शन किये जा रहे हैं और हजारों लाखों की संख्या में किसान इस प्रदर्शन का हिस्सा बन रहे हैं साथ ही बेपरवाह होकर सड़क में सभाओं का आयोजन कर रहे हैं और एक दूसरे के संपर्क में बने हुए हैं। इसी प्रकार जनपद जालौन में भी किसानों के समर्थन में उतरे कई राजनैतिक पार्टियां भी धरना प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन वह यह भूल गए हैं कि पूरा विश्व आज भी कोविड-19 जैसी महामारी से ग्रसित है। लेकिन इसकी परवाह किये बगैर अपनी राजनीति को चमकाने के लिए सैकड़ों लोग बिना मास्क एवं बिना सोशल डिस्टेंस बनाए अपने भाषणों को प्रसारित कर रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरुप वह खुद को खतरे में डालकर कोविड-19 को खुला नौता भी दे रहे हैं।
सबसे चौकाने वाली बात यह है कि यह पूरा कार्यक्रम प्रशासनिक अधिकारियों के नजरों के सामने ही होता रहा जिसमें जनपद की पुलिस व कई बड़े अधिकारी मूक बोध होकर यह सारा तमाशा देखते रहे लेकिन उन्हें कोविड के नियमों का पालन करने का किसी प्रकार से कोई भी निर्देश नहीं दिया। अब सवाल यह है कि क्या यह बीमारी को खुला निमंत्रण दिया जा रहा है या फिर नेताओं को सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने का एक बढ़िया अवसर प्राप्त हुआ है।

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