उरई/जालौन। जिलाधिकारी डा. मन्नान अख्तर द्वारा अवगत कराया गया है कि बाल्यावस्था तथा यौवन के बीच की अवस्था होने के कारण किशोरावस्था नारी के मानसिक, भावनात्मक तथा मनोवैज्ञानिक विकास की दृष्टि से अत्यंत परिवर्तनशील होती है इसीलिए किशोरावस्था नारी के जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण अवस्था मानी गई है। एेसी स्थिति में मानव संसाधन विकास के उद्देश्य से चलाई जा रही विकास परक योजनाओं, कार्यक्रमों में किशोरियों को स्थान देना जरूरी है। किशोरियों में आत्मविश्वास, उत्साह एवं आत्मगौरव की भावना में वृद्धि करने के उद्देश्य से उनके पौषाणिक, शैक्षिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार योजनाएं चलाकर उनका विकास कर रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश की गरीब परिवार की बालिकाएं, स्कूल न जाने वाली किशोरी बालिकाओं के लिए उप्र किशोरी बालिका योजना (एसएजी) लागू की गई योजनांतर्गत उन्हें जीवन कौशल, शिक्षा, पोषण व स्वास्थ्य शिक्षा, सामाजिक कानूनी मुद्दों तथा मौजूदा सार्वजनिक सेवाओं के बारे में जानकारी देते हुए जागरूक किया जा रहा है। प्रदेश में समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजनांतर्गत छह माह से छह वर्ष की आयु तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश के समस्त जिलों में कुल 897 परियोजनाओं के 167499 आंगनबाड़ी केंद्रों तथा 22290 मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। इन्हीं आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से किशोरियों के सर्वांगीण विकास हेतु चलाए जा रहे कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश किशोरी बालिका योजना 2020 लागू कर उप्र की पांच लाख से अधिक किशोरी बालिकाओं के लक्ष्य के विपरीत अब तक 3.50 लाख किशोरियों को अनुपूरक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है। उत्तर प्रदेश किशोरी बालिका योजनांतर्गत ग्याह से चौदह वर्ष की स्कूल न जाने वाली बालिकाओं को पोषण आहार के रूप में मोटा अनाज बाजरा, कोदो, रागी, मक्का गेहूं आदि काला चना, अरहर दाल और देशी घी दिया जा रहा है।