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जब राष्ट्रीय नेताओं के सामने जिला काँग्रेस कार्यालय बना अखाड़ा … !

बोले राष्ट्रीय नेता अनुशासनहीनता कतई बर्दास्त नहीं …।
राष्ट्रीय नेताओं के सामने दिखी गुटबाज़ी
उरई/जालौनकांग्रेस कार्यालय का उद्घाटन करने व जिला पंचायत व ग्राम पंचायत के चुनाव में कांग्रेस की तैयारियों की समीक्षा करने आए राष्ट्रीय नेताओं को भी जनपद की कांग्रेस का असली चेहरा नजर आ गया। उनके सामने ही गुटबाजी साफ नजर आई। हालात तो इससे भी बुरे तब हो गए जब कार्यकर्ता राष्ट्रीय नेताओं के के जिंदाबाद नारे लगाने की बजाय जनपद के ही कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के नाम के नारे लगाने लगे। इससे भी कांग्रेसियों का मन नहीं भरा तो उन्होंने सारी हदें पार करते हुए आपस में ही जमकर धक्का-मुक्की की और एक दूसरे पर कुर्सियां फेंकी। ये सब नजारा बाहर से आए हुए उन अतिथियों के सामने हुआ जो पार्टी को मजबूत करने के इरादे से आए हुए थे।
कांग्रेस का शहीद भवन आज उस समय चर्चाओं में आ गया जब कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनुज मिश्रा द्वारा खंडहर की तरह बने भवन का जीर्णोद्धार करके एक नया रूप देकर चमकाया गया था जिसका उद्घाटन करने के लिए राष्ट्रीय सचिव प्रभारी रोहित चौधरी और योगेश दीक्षित सहित राहुल रिछारिया का आगमन हुआ था लेकिन उनके सामने ही कांग्रेसियों ने जो करतूत की उसकी गूंज निश्चित तौर पर पार्टी के बड़े नेताओं को सुनाई देगी। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने अपनी आंखों से जो देखा उससे उन्हें भी यह तो बहुत अच्छे से समझ में आ गया होगा कि जनपद में कांग्रेस की स्थिति क्या है। राष्ट्रीय नेताओं की मौजूदगी में ही दो गुटों में जमकर टकराव हुआ। इतने से मन नहीं भरा तो कुर्सियां तक चला दी। एक तरफ कांग्रेस के कुछ जिम्मेदार उपद्रव को रोकने में जुटे थे तो वहीं दूसरी तरफ वही भडक़ाने का भी काम कर रहे थे। कभी दर्जनों कार्यकर्ताओं के लिए तरसने वाली कांग्रेस में आज कार्यालय में सैकड़ों लोगों की मौजूदगी थी जिनमें बहुतायत एेसे लोग थे जिन्हें कांग्रेस के झंडे के रंग तक का ज्ञान नहीं था। मामला उस समय ज्यादा गंभीर हो गया जब जनपद स्तर के दो नेताओं के नाम के नारे लगने लगे। इन नारों ने आग में घी डालने का काम किया। फिलहाल जिस तरीके से कांग्रेसियों ने राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के सामने जनपद की कांग्रेस की स्थिति दिखाई इससे तो यही नजर आता है कि कांग्रेसियों में आपस में बहुत दूरियां हैं। मौजूदा दौर में कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी गुटबाजी न पाट पाना है।

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