कोंच में आयोजित 170वें रामलीला में अंगद व रावण संवाद का किया गया रोचक मंचन
सीता को ससम्मान लौटाने की सीख नहीं मानी तो अंगद ने रावण को दी युद्ध की चुनौती

कोंच/जालौन। अवसान की ओर अग्रसर रामलीला के 170वें महोत्सव में मंगलवार रात अंगद रावण संवाद लीला का रोचक मंचन किया गया। प्रसंग में दिखाया गया कि मंदोदरी रावण से विनय कर रही है, ‘सुनो प्राण प्यारे न जिद ऐसी ठानो, दे दो सिया को पिया मोरी मानो। ‘विभीषण और माल्यवान भी राम से संधि कर सीता को लौटाने के लिए खूब समझाते हैं लेकिन रावण किसी की नहीं सुनता, यहां तक कि विभीषण को लात मारकर लंका से निष्कासित कर देता है और विभीषण राम की शरण में पहुंच जाता है।
समुद्र पर सेतु का निर्माण कर राम वानर भालुओं की सेना सहित लंका पहुंच जाते हैं। युद्ध टालने के एक और प्रयास में बाली पुत्र अंगद को शांति दूत बनाकर रावण के दरबार में भेजा जाता है जहां तमाम ऊंचनीच समझा कर अंगद रावण से सीता को ससम्मान राम को लौटाने की सीख देता है लेकिन दंभी रावण इस सीख को हंसी में उड़ाते हुए अपने बल पराक्रम का बखान करने लगता है। अंगद रावण की सभा में अपना पैर जमा देता है और रावण के योद्धाओं को चुनौती देता है कि अगर कोई उसका पैर उठा दे तो सीता को हार कर प्रभु राम वापस लौट जाएंगे।
रावण का एक भी योद्धा अंगद के पैर को किंचित हिला भी नहीं सका तब रावण स्वयं उपस्थित होता है लेकिन अंगद अपना पैर हटा लेता है और कहता है कि उसके नहीं, प्रभु राम के चरण पकड़ो जिसमें कल्याण है। अंगद रावण को युद्ध की चुनौती देकर राम के पास लौट आता है। अंगद की भूमिका रामकिशोर पुरोहित, हनुमान लकी दुवे, रावण संजय सिंघाल, बिभीषण प्रमोद सोनी, प्रहस्त जवाहर अग्रवाल, मंदोदरी सूरज शर्मा तथा रावण के दरबारियों की अभिषेक वर्मा, गोलू वर्मा, सनी वर्मा, गोपाल कुशवाहा आदि ने निभाई।