उरई/जालौन। उपद्रवी छात्रों की उदंडता और अराजकता को लेकर बद से बदनाम हो चुके स्टेशन रोड के बाशिंदे आज भी उपद्रवी छात्रों की आवाजाही से कांपने लगते हैं। छात्रों के बीच हर रोज होने वाली मारपीट और दुकानदारों से अभद्रता ओर स्टंटबाजी अब रोजमर्रा की बात हो गई है। अब तो उपद्रवी छात्र इतने बेखौफ हो गए हैं कि अब वह पुलिस को भी कुछ नहीं समझते। चेकिंग के दौरान उपद्रवी छात्र पुलिस से भी उलझने से परहेज नहीं कर रहे। इसकी बानगी शनिवार को चेकिंग के दौरान देखने को मिली जब गाड़ी रोकने की बजाय बाइक सवार छात्रों ने सिपाही पर ही गाड़ी चढ़ा दी। इस हादसे में महिला थानाध्यक्ष भी चुटहिल हो गई। कोचिंगों का हब बन चुका स्टेशन रोड इस समय चर्चाओं में है। देर शाम को हजारों छात्र छात्राएं कोचिंग में पढऩे आते हैं तो इन्हीं में कुछ छात्र एेसे होते हैं जो महंगी बाइकों से आते हैं और हर बाइक पर तीन छात्र सवार होते हैं। ये छात्र पढ़ाई करने की बजाय मारपीट और अराजकता में अपना समय व्यतीत करते हैं। स्टेशन रोड पर एेसी कोई शाम नहीं जाती जिस दिन छात्रों के बीच मारपीट की घटना न हो। साथ ही स्टंटबाजी भी इतनी बेखौफ कि देखकर ही रूह कांप जाए। स्टंटबाजी के दौरान कई बार छात्र खुद चुटहिल हो जाते हैं लेकिन अपनी हरकतें नहीं छोड़ते। वैसे तो स्टेशन रोड पर शिक्षा विभाग की मेहरबानी से फर्जी तरीके से कोचिंगें खुली हैं। इन कोचिंगों पर शिक्षा विभाग का हाथ रखा है जिसके चलते इन फर्जी कोचिंगों पर कभी भी कार्रवाई नहीं होती। उदंडता और अराजकता का पर्याय बन चुके छात्र अब और भी ज्यादा बेखौफ होते जा रहे हैं। अब तो पुलिस को भी ये छात्र कुछ नहीं समझते। शनिवार को जो कुछ हुआ उससे यह तो साबित हो गया कि अगर कोई भी इन उपद्रवी छात्रों के सामने आया तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। शनिवार को महिला थाना और शक्ति मोबाइल टीम स्टेशन रोड पर पंजाब नेशनल बैंक के पास चेकिंग कर रही थी तभी बाइक सवार छात्रों को रोकने का प्रयास किया गया तो रुकने की बजाय छात्रों ने सिपाही को टक्कर मार दी और भागने लगा तभी महिला थानाध्यक्ष नीलेश कुमारी ने भी रोका तो वह भी चुटहिल हो गई। हालांकि बाद में पुलिस ने दौड़ाकर उपद्रवी छात्रों को पकड़ लिया। घायल सिपाही को महिला थानाध्यक्ष तुरंत ही अस्पताल ले गई जहां पर सिपाही अभिषेक के हाथों में फ्रैक्चर और पैरों में चोट आई। फिलहाल जिस तरीके से छात्रों की हिम्मत में इजाफा हो रहा है वह न ही समाज के लिए अच्छा है और न ही उन उपद्रवी छात्रों के परिवार के लिए अच्छा हो सकता है क्योंकि छात्रों की इस तरह की हरकतें कभी गंभीर हादसे का रूप ले सकती हैं।