चेक डैम बनने से नून नदी व सहायक नदियों के प्राकृतिक जल स्रोत बंद हो गए हैं : राममोहन चतुर्वेदी

कालपी/जालौन। छोटी-छोटी नदियों पर चेक डैम बनने से नदियों के किनारे सतत और निरंतर बहने वाले जल स्रोत चेक डैम की मिट्टी से बंद हो गए। परिणाम स्वरूप उन छोटी छोटी नदियों को जलापूर्ति बंद हो गई और नदियां सूखने लगीं।
इसके साथ ही नदियों के किनारे बड़ी संख्या में ट्यूबेल लगे जिससे भूजल स्तर नीचे चला गया। इससे भी प्राकृतिक जल स्रोत सूख गए और नदियों को सतत जलापूर्ति बंद हुई” यह बात सामाजिक संस्था जय मां ग्रामीण बाल विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित नून नदी और उसकी सहायक नदियों के सूखने के कारणों का पता करने और विश्लेषण करने के लिए निकाली गई यात्रा में सामाजिक कार्यकर्ता राममोहन चतुर्वेदी ने कही। वे अपनी टीम के साथ कल नून नदी के उद्गम स्थल पर गए और वहां से उन्होंने अंडा, संतोह, बिरगुंवां, सिमिरिया, मनोहरी और अकोढ़ी गांव के बीच से और किनारे से निकली नून नदी की यात्रा भी की।
उन्होंने उक्त गांव के निवासियों से नदी के सूखने के कारणों पर चर्चा की। संस्था के अध्यक्ष रिसाल सिंह चौहान को ग्रामीणों ने ने बताया कि पहले नदी में 20-25 वर्ष पहले नदी में वर्ष भर पानी रहता था जिससे किसान अपनी फसल की सिंचाई करते थे और गर्मियों में पशु अपनी प्यास बुझाते थे। लेकिन अब गर्मियों में नदी के सूख जाने के कारण किसान तो परेशान होते ही हैं साथ ही पशु भी इधर उधर भटकते हैं। सिमरिया निवासी सत्यनारायण सविता, चंद्रभान जोशी, भगवत पटेल व वीर सिंह यादव ने बताया कि जनपद में नदियों से बड़ी मात्रा में उत्खनन हो रहा है। उत्खनन के कारण नदियों का पानी कम हो रहा है।
संस्था अध्यक्ष रिसाल सिंह चौहान ने बताया कि नदियों के किनारे बोरिंग होने, नदियों से उत्खनन और चेक डैम के साथ ही नदियों के किनारे के गांव में बड़ी मात्रा में समरसेबल लगने के कारण नदियां सूख रही हैं। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में पेड़ काटे जा रहे हैं जो नदियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
ज्ञात हो कि संस्था पिछले कई दिनों से जनपद की नून नदी और उसकी सहायक नदियों के सूखने के कारणों का पता लगा रही है और इसी क्रम में नून नदी और उसकी सहायक नदियों के उद्गम स्थल से संगम तक की यात्रा कर रही है। अवसर पर शैलेंद्र सिंह जादौन मुसमरिया, शिवम सिंह खांखरी सहित कई लोग उपस्थित रहे।