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क्षय रोगियों की खोज करेंगी आरबीएसके टीमें

अब कुल पचास रोगों की स्क्रीनिंग करेंगी आरबीएसके की टीम
उरईराष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीमें अब क्षय रोगियों की भी खोज करेंगी। यह टीमें अपने अपने में क्षेत्र में क्षय रोग से पीड़ित बच्चों की जांच कर उन्हें इलाज मुहैया कराने में मदद करेगी। यह जानकारी जिला शीघ्र हस्तक्षेप मैनेजर (डीईआईसी) मैनेजर रवींद्र चौधरी ने दी।
उन्होंने बताया कि अभी तक आरबीएसके की टीमें जन्मजात रोगों से पीड़ित बच्चों की स्क्रीनिंग कर उनका इलाज मुहैया कराने में मदद करती थी। लेकिन अब शासन ने आरबीएसके टीमों की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। अब आरबीएसके की टीमें क्षय रोग और कुष्ठ रोग से पीड़ित बच्चों की जांच कर उन्हें इलाज के लिए रेफर करने का काम करेगी। इसके लिए शासन से दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। सभी टीमों को लखनऊ से हुई जूम मीटिंग में काम करने के बारे में बता दिया गया है। वर्तमान में जिले में सभी नौ ब्लाकों में दो दो टीमें कार्यरत है। प्रत्येक टीम में दो चिकित्सक, एक पैरामेडिकल स्टाफ, एक स्टाफ नर्स शामिल होता है। जो स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की जांच कर बीमार बच्चों का अलग अलग बीमारियों से पीड़ित बच्चों की स्क्रीनिंग की काम करती है। जिसमें बच्चों के टेढ़े पांव, कम लंबाई, कटे होंठ व तालु, ह्दय संबंधी रोगों और कुपोषित बच्चों समेत 48 बीमारियों की स्क्रीनिंग का काम करती है। अब यह टीम क्षय और कुष्ठ रोग से पीड़ित बच्चों की जांच कर इलाज के काम करेगी। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरबीएसके) डा. एसडी चौधरी बताते हैं कि आरबीएसके द्वारा अभी तक 48 बीमारियों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती थी। अब दो बीमारियों को और जोड़ दिया गया है। इसके अब 50 बीमारियों का इलाज हो सकेगा। सोमवार को लखनऊ से जूम मीटिंग के माध्यम से टीमों को क्षय रोग संबंधित प्रशिक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि वैसे तो आरबीएसके की टीमें जिन मरीजों की खोज करती है, उनका इलाज मुफ्त कराया जाता है। जबकि क्षय रोग वाले मरीज को पांच सौ रुपये हर माह पोषण भत्ता दिया जाता है। यह भत्ता इलाज पूरा होने तक दिया जाता है।

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