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कालपी का हस्तनिर्मित कागज जीआई टैग प्राप्त कर बौद्धिक सम्पदा में हुआ शामिल

उरई/जालौन। जनपद जालौन की कालपी तहसील में निर्मित हो रहे हस्तनिर्मित कागज को भारत सरकार के जियोग्राफिकल इन्डीकेशन न्यायालय चैन्नई द्वारा जियोग्राफिकल इन्डीकेशन का दर्जा दिया गया है। जिसके फलस्वरूप इस उत्पाद को उसकी भौगोलिक विशेषताओं और उसकी गुणवत्ता के आधार पर विशेष स्थान प्राप्त होगा तथा इस उत्पाद को अवैध रूप से उपयोग करने जैसी (कॉपीराईट) घटना से रोकने के लिये सुरक्षा प्रदान होगी।

जनपद जालौन के हस्तनिर्मित कागज को जीआई टैग पंजीकरण और संरक्षण अधिनियम-1999 के तहत प्रदान किया गया है। जीआईए टैग उत्पादों को दिया जाने वाला एक विशेष प्रकार का लेबल होता है जिसमें किसी उत्पाद को उसकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर विशेष पहचान प्रदान की जाती है। जीआई टैग उद्योग संबंधन और आन्तरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत रजिस्ट्री द्वारा जारी किया जाता है। वर्ष 2020 में हस्तनिर्मित कागज निर्माता समिति कालपी तथा उपायुक्त उद्योग, जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केन्द्र, जालौन के सम्मिलित प्रयासों से जीआई टैग हेतु कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेन्ट्स एन्ड ट्रेड मार्क को आवेदन किया गया था जो कि तीन वर्ष की लम्बी कानूनी प्रक्रिया के उपरान्त यह अवसर प्राप्त हुआ है कि जनपद जालौन के हस्तनिर्मित कागज को जियोग्राफिकल इन्डीकेशन के रूप में पंजीकृत किया गया है।

अब हैण्डमेड पेपर उत्पाद को पूरे विश्व में अपनी कानूनी पहचान बनाने में पूरी सहायता मिलेगी। भारत के बौद्धिक संपदा अधिकार में शामिल हुये बागपत के होम फर्नीसिंग आईटन, अमरोहा के ढोलक और बाराबंकी के हैण्डलूम उत्पाद के साथ-साथ कालपी जालौन के हैण्डमेड पेपर सहित सभी चार उत्पादों को लम्बी कानूनी और तकनीकी प्रक्रिया के बाद 14 जून 2023 को जीआई का दर्जा प्राप्त हो गया है और अब यह देश की बौद्धिक सम्पदा में शामिल हो गये हैं। अब यह उत्पाद पूरी दुनिया में जीआई टैग के साथ जाएंगे तथा भारत उत्तर प्रदेश जालौन के साथ-साथ कालपी के उद्यमियों/शिल्पियों का मान बढ़ायेंगे उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 52 उत्पादों को जीआई टैग का दर्जा प्राप्त हो गया है।

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