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क्षेत्र के इतिहास को सार्वजनिक स्थानों पर अंकित किया जाए : पारसमणि

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर पारस ने पर्यटन विभाग को पत्र लिखकर उठाई मांग

कोंच/जालौन। क्षेत्र में इधर उधर बिखरे पड़े भग्नावशेषों के गर्त में उसका समृद्ध इतिहास छिपा है। इस क्षेत्र को उसके अतीत से जोड़कर नई पहचान दिलाने जैसे उद्देश्य को लेकर कोंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक संयोजक पारसमणि अग्रवाल ने विश्व पर्यटन दिवस पर पर्यटन विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर कोंच के इतिहास को सार्वजानिक स्थलों पर अंकित किए जाने की मांग की है ताकि इस क्षेत्र में भी पर्यटन की संभावनाओं को विकसित किया जा सके।

पारसमणि अग्रवाल ने कहा कि कोंच और इसके आस-पास इलाकों में बहुत ही समृद्ध इतिहास जज्ब है और यहां पर्यटन के विकास की अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। बस आवश्यकता है इस दिशा में सही कदम उठाए जाने की। कोंच प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं पुरातात्विक लिहाज से काफी समृद्ध और संपन्न रहा है। इस बात का प्रमाण अंग्रेजी शासन में विकसित हुई चौदह किलोमीटर की रेलवे लाइन है। उन्होंने कहा कि कोंच क्षेत्र में चंदेलकालीन, मराठाकालीन राजाओं- महाराजाओं से जुड़ी ऐसी तमाम स्मृतियां मौजूद हैं जिन्हें पर्यटन मानचित्र पर जगह दी जा सकती है। इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध कोंच की रामलीला जिसे अयोध्या शोध संस्थान ने भारत की सर्वश्रेष्ठ मैदानी रामलीला के खिताब से भी नवाजा है, यहां की अप्रतिम सांस्कृतिक विरासत है। पारस ने पत्र में उल्लेख किया कि धार्मिक मामलों में भी कोंच मिनी वृंदावन है। नगर में दर्जनों की संख्या में प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। पारस ने मांग की है कि कोंच नगर व क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को तलाशने के लिए बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन सहित अन्य सभी सार्वजनिक स्थलों पर कोंच के इतिहास को अंकित कराया जाए।

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