आहार में शामिल करें विटामिन ए वाले पदार्थ, नहीं होगी दिक्कत
बच्चों को विटामिन की ए दवा पिलाए, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं

उरई/जालौन। शिशु की विटामिन ए की जरूरत को कई तरह के खाद्य पदार्थों से पूरा किया जा सकता है।विटामिन ए एक ऐसा जरूरी विटामिन है जो शरीर खुद नहीं बना सकता है। इसलिए आहार में विटामिन ए युक्त चीजों को शामिल करना जरूरी है। यह माइक्रो न्यूट्रिएंट शिशु के विकास में मदद करता है। इससे दांत, हड्डियां और नरम ऊतकों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। आंखों को ठीक तरह से कार्य करने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी हैं। जो प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत रखते हैं। दिल, फेफड़ों, किडनी और अन्य अंगों के कार्य में विटामिन ए मददगार है। यह कहना है जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ वीरेंद्र सिंह का।
उन्होंने बताया कि हर बच्चे को अलग मात्रा में विटामिन ए की जरूरत होती है। हालांकि, उम्र के आधार पर यह निर्णय लिया जा सकता है कि बच्चे को कितनी मात्रा में विटामिन ए चाहिए। 3 साल से कम उम्र के बच्चों को 300 माइक्रोग्राम विटामिन ए रोजाना चाहिए होता है। चार साल की उम्र तक और आठ साल तक के बच्चों को रोजाना विटामिन ए चाहिए होता है। नौ साल से अधिक लेकिन 14 साल से कम उम्र के बच्चों को रोजाना 600 माइक्रोग्राम विटामिन ए चाहिए होता है।
बच्चों में विटामिन ए से यह होती है समस्याएं :
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ संजीव अग्रवाल का कहना है कि संतुलित आहार की कमी या लीवर से जुड़े विकारों के कारण विटामिन ए की कमी हो सकती है। शरीर में विटामिन कम होने पर हल्की थकान, रूखी त्वचा, रैशेज, रूखे बाल, बाल झड़ने, बार-बार इन्फेक्शन होना, एनीमिया का अधिक खतरा, धीमा विकास होना, गले और छाती में इंफेक्शन, घाव न भरने जैसे संकेत मिलते हैं। यदि गंभीर रूप से विटामिन ए की कमी हो तो आंखों में धुंधलापन, तेज रोशनी से आंखें चौंधियाना, आंखों के सफेद हिस्सों पर पैचेज, रात में दिखाई न देना, आंखों में गंभीर रूप से ड्राईनेस जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। बच्चे में विटामिन ए की कमी के संकेत दिखने पर बाल रोग चिकित्सक को दिखाएं।
इनमें मिलता है भरपूर विटामिन ए :
कई तरह खाद्य पदार्थों में विटामिन ए होता है। हरी पत्तेदार सब्जियों या गहरे लाल या संतरी रंग की सब्जियों में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए होता है। इसलिए ही बच्चों को पालक खिलाने की सलाह दी जाती है। गाजर में भी विटामिन ए पाया जाता है। इसमें बीटा कैरोटीन होता है। जो आंखों के लिए फायदेमंद होता है। इसलिए रोज सलाद में गाजर खा सकते हैं।
विटामिन ए की दवा पिलाने के डाटा में आया सुधार :
अपर शोध अधिकारी आरपी विश्वकर्मा बताते है कि जिले में 9 माह से 35 माह तक के बच्चों को विटामिन ए की डोज देने का प्रतिशत बढ़ा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) 2015-16 में इस आयु वर्ग में 34.6 प्रतिशत बच्चों को विटामिन ए दे जाती थी। जबकि एनएफएचएस 2019-21 में यह प्रतिशत बढ़कर 77.3 प्रतिशत हो गया है। बच्चों को विटामिन ए एक टीके के रुप में दिया जाता है।
विटामिन ए पीने से बीमारी से हुआ सुधार :
पिंडारी पीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ कमलेश कुमार का कहना है कि विटामिन ए की समस्या से उनके क्षेत्र में एक दो साल की बच्ची पीड़ित मिली। हालांकि उसमें शुरुआती रतौंधी के लक्षण थे। विटामिन ए की दवा पिलाने और अन्य इलाज से वह ठीक हो गई। उन्होंने बताया कि विटामिन ए की दवा पिलाने में लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।