प्रशासन की सख्त रोक के बाद भी धूं-धूं कर जल रहे हार्वेस्टर से कटे खेत

माधौगढ़/जालौन। प्रशासन की सख्त रोक के बाद भी कुछ किसान हार्वेस्टर से कटे गेहूं के खेत की नरई में आग लगाकर वेजुवान पशुओं के मुंह का निवाला तो छीन ही नहीं रहे हैं वहीं आग और धुआं से पर्यावरण को क्षति पहुंचाकर मानव जीवन को खतरे में डालने वाले कानून का खुला उल्लंघन कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के स्पष्ट आदेश यह है कि कोई भी किसान फसल कटे खेतों के अवशिष्ट में आग नहीं लगाएगा, इस आदेश के परिपालन में पूरे प्रदेश के जनपदों में प्रशासन ने सख्त आदेश जारी किए हैं कि यदि कोई किसान फसल कटाई के उपरान्त खेत की नरई (फसल का अवशिष्ट) में आग लगाएगा उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञात हो कि खेतों की नरई में आग लगाने से वायुमंडल की प्राण वायु आक्सीजन तो जलती ही है अपितु धुआं से समूचा वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है जो मानव जीवन के लिए बहुत खतरनाक है। इसी प्रकार आग लगने से खेतों में पलने वाले लाखों जीव जंतु जो मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं जलकर नष्ट हो जाते हैं। जो नरई लाखों पशुओं के पेट की आग बुझा सकती है अज्ञानी किसानों की हठधर्मिता के कारण आग की भेंट चढ़ जाती है।
14 अप्रैल गुरुवार की शाम लगभग सात बजे बंगरा जालौन रोड पर (छिरिया सलेमपुर) बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के पास जालौन की ओर लगभग दो सौ मीटर दूर दाहिने हाथ पर खेत में हाईटेंशन लाइन के समीप किसी किसान ने अपने खेत की नरई में आग लगा दी। जिससे लगभग पांच सौ मीटर खेतों में धूं-धूू , चटर पटर की भयानक आवाज के साथ आग की लपटें उठ रही थी, उन्हीं खेतों से लगभग 100-150 मीटर दूर खेतों में गेहूं की पकी फसल खड़ी थी जिसमें आग लगने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। इस प्रकार खेतों में आग लगाकर पर्यावरण प्रदूषित करने, मूंक पशुओं के पेट का चारा जलाने व खेतों में पलने वाले मृदा शक्ति बढ़ाने वाले असंख्य कीटों की हत्या करने व आसपास के खेतों की फसल को खतरे में डालने वाले हठी किसानों को खेतों के अवशिष्ट में आग लगाने से रोकने के लिए जनपद जालौन की सभी थाना पुलिस कारगर कदम उठाए इसके लिए अपनी सरकारी या प्राईवेट गाड़ियों के माध्यम से उद्घोषणा की जाए एवं पुलिस की उद्घोषणा के बावजूद यदि कोई किसान अपने खेत में आग लगाने का दुस्साहस करें तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।