‘स्वप्न झूठे शपथ झूठी वो वायदों पर नहीं चलते, बहस के दौर संसद में निवालों पर नहीं चलते’

कोंच (पीडी रिछारिया)। नगर की साहित्यिक संस्था वागीश्वरी साहित्य परिषद् के स्थापना दिवस पर भूतेश्वर मंदिर पर आयोजित काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता मोहनदास नगाइच ने की, मुख्य अतिथि डॉ. हरिमोहन गुप्त और विशिष्ट अतिथि डॉ. एलआर श्रीवास्तव रहे। गोष्ठी में स्थापित और नवोदित कवियों ने सम सामयिक रचनाएं पढ कर श्रोताओं को आनंदित किया।
संजीव सरस द्वारा मां वीणापाणि की वंदना से गोष्ठी को गति प्रदान की गई। उभरते कवि सुनीलकांत तिवारी ने मौजूदा राजनीति पर करारा व्यंग्य करते हुए रचनापाठ किया, ‘स्वप्न झूठे शपथ झूठी वो वायदों पर नहीं चलते, बहस के दौर संसद में निवालों पर नहीं चलते।’ राजेंद्र सिंह गहलौत रसिक ने रचना बांची, ‘कड़वी न हो जो बात वही मुख से बोलिए, कहने से मगर पहले अपनी बात तौलिए।’ संचालन कर रहे आनंद शर्मा अखिल ने कहा, ‘हो सुख बसंत दिग्दिगंत चिर बसंत हिम अनंत हो बसंत।’ संतोष तिवारी सरल ने रचना पढी, ‘आम पर कोयल गाती है सुहाने गीत सुनाती है, तब मेरे मन के मीत याद तेरी सताती है।’ अंतरराज्यीय मंचों के अभिनंदित कवि व साहित्यकार नरेंद्र मोहन मित्र ने रचना पाठ किया, ‘नफरत की आग बुझते बुझते प्यार हो गई, उस आदमी की जिंदगी हरिद्वार हो गई।’ ऋतु चतुर्वेदी ने रचना पढी, ‘चाहे लाभ हो या हानि मगर मान जरूरी, जब बात देश की हो तो अभिमान जरूरी।’ मोहनदास नगाइच मोहन ने बुंदेली रचना बांची, ‘चौगिरदी अंधियारो छा रओ, दियरा तनक दिखा दो।’ भास्कर सिंह माणिक्य, नंदराम भावुक, डॉ. एलआर श्रीवास्तव, मुन्ना यादव विजय, संजय सिंघाल, संजीव सरस, ओंकार नाथ पाठक, अमरसिंह यादव, डॉ. हरिमोहन गुप्त, प्रमोद कस्तवार, हसरत कोंचवी नेे भी रचनापाठ किया। इस दौरान चंद्रशेखर नगाइच, राजेंद्र निगम, प्रह्लाद कौशल, प्रमोद अग्रवाल, ब्रजबिहारी सोनी, संतोष राठौर, रामबिहारी रेजा, आशीष कस्तवार, हनुमंत प्रधान, सुरेश अग्रवाल, रामबिहारी सोहाने, रमन सक्सेना, लक्ष्मीनारायण गोस्वामी, सौरभ बिलैया, डॉ. अशोक सोहाने, मुन्ना अग्रवाल लोहेवाले, कमलू सब्जी फर्रोश आदि मौजूद रहे।