घर के काम को भगवान का ही काम समझकर करें : दीदी पुष्पांजलि

कोंच (पीडी रिछारिया) गल्ला मंडी परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में दूसरे दिन मानस पुत्री दीदी पुष्पांजलि जी ने कहा, अपना सब कुछ भगवान को सौंप दें। घर के काम को भगवान का ही काम समझकर करें।
कथा प्रवक्ता दीदी पुष्पांजलि ने कथा प्रवाह को आगे बढाते हुए कहा, अभिमान के कारण मनुष्य भार को अपने ऊपर ले लेता है। यदि भगवान को समर्पित हो जाएं, अन्य का सहारा न लें तो भगवान योगक्षेम वहाम्यहम् करते हैं। व्यक्ति को कुछ नहीं चाहिए, ऐसा भाव होने पर भगवान अपने-आप आवश्यकता की पूर्ति करते हैं। भगवान के भरोसे जितना बढ़िया काम होगा, उतना अपनी बुद्धि के सहारे नहीं कर सकते। संत भगवान के भरोसे चिंता नहीं करते और जो चिंता करते हैं वे संत नहीं होते हैं। प्रारब्ध का, भगवत्कृपा का तात्पर्य चिंता मुक्ति में है, काम मुक्ति में नहीं। भगवान की तरफ चलते ही शरीर-इन्द्रियां-मन-बुद्धि आदि सब पवित्र हो जाते हैं। आप घर का काम कभी करें ही नहीं, प्रत्युत भगवान का काम करें, तात्पर्य है कि घर के काम को भगवान का ही काम समझकर करें। कथा व्यास ने भागवत कथा का महात्म्य समझाते हुए धुंधकारी की कथा सुनाई। बताया कि प्रेत योनि में पड़े महान पापी धुंधकारी ने जब सातों दिन की कथा सुनी तो वह प्रेत योनि से मुक्त होकर भगवान के श्रीधाम चला गया। कथा प्रवाह के बीच संगीतमय भजनों पर श्रोता खूब झूमे।