अब यातायात माह में भी बिगड़ती नजर आ रही यातायात व्यवस्था, लग रहे हैं जाम

उरई। यातायात व्यवस्था को सुधारनें के लिए जहां पर यातायात माह नवम्बर में बडे़-बडे़ वायदें किये जाते हैं मगर यहां पर अगर देखा जाये तो सभी वादें खोखले साबित होते नजर आते है। यातायात माह मे भी यातायात व्यवस्था का आलम यह है कि सड़कों के मुख्य मार्ग पर ऐसा स्थान नही है जहां पर जाम की समस्या न हों। यातायात माह में भी यातायात विभाग किसी ठोस कदम कों नही उठाना चाहता है। जिसके कारण नगर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ी हुई नजर आ रही है। यातायात माह मात्र कागजों की खानापूर्ति व कागजो की कार्यवाही करने में गुजर जाता है।
मुख्यालय में ही ध्वस्त पडी यातायात व्यवस्था को लेकर यातायात विभाग चेत नही रहा है। सडकों पर बस स्टैण्ड, जिला परिषद, मौनी मंदिर सहित अन्य मुख्य मार्गो पर यातायात व्यवस्था ध्वस्त नजर आ रही हैं जिसका मुख्य कारण है कि यातायात सिपाही नाम मात्र के लिए लगे रहतें है। पूरी सुरक्षा व्यवस्था को अनट्रेंड होमगार्ड संभालें हुए है। यातायात सिपाही नगर छोड कर दिन भर हाइवें पर नजर आते है। हांलाकि शासन द्वारा यातायात व्यवस्था को लेकर कई योजनायें चलाई जा रही है। भारी भरकम धनराशि भी खर्च की जाती है। यहां तक कि यातायात माह कों भी बडे जोर शोर सें मनाया जाता है। लेकिन शासन की मंशानुरूप यातायात विभाग जागरूकता अभियान चलानें की वजाय अपनी मनमानी करनें पर उतारू रहता है। इतना ही नही यातायात माह मात्र कागजो की खानापूर्ति करने में गुजर जाता है। इतना ही नही अगर देखा जाये तो शासन प्रशासन द्वारा सुरक्षित यातायात को लेकर कई नियम कानून तथा निर्देश जारी किये जाते है मगर उन नियमों पर अमल नही किया जाता। नगर क्षेत्र के लेागों व आमजन की मानें तो उनका कहना है कि सरकार का निर्देश है कि दोपहिया वाहन चालक बगैर हेलमेंट तथा कार चालक बिना बेल्ट के वाहन नही चलायेगे तथा बगैर हेलमेट के कम्पनी द्वारा बाइक नही बेची जायेगी। पेट्रोल पम्प पर बिना हेलमेट के पेट्रोल नही दिया जायेगा इसके बाद भी यातायात माह में भी यह सब आदेश हवा हवाई नजर आ रहे है जहां भी देखों वही पर आदेशो की धज्जियां उडाई जा रही है।
तेज रफ्तार सें दौड़ती नजर आ रही किशोरों की बाइक्स –
यातायात माह में भी हालत यह है कि किशोरावस्था नावालिक बालक, बालिकाएं सडकों पर बगैर हेलमेंट लगाये तेज रफ्तार में बाइक चलाते नजर आ रहे है। वह अकेले भी नही अपने दोस्तों को भी बैठाकर तेज रफ्तार में सडकों पर लहराते हुए बाइक चलाते देखे जा सकते है। इन बाइक सवारों को न तो खुद की चिंता होती है न ही सामने आने वाले व्यक्ति की। अगर देखा जायें तों हालत यह है कि नगर में खुली अनेक कोंचिग सेंटरों में व विद्यालयों में नावालिग छात्र छात्रायें स्कूटी तथा बाइकों से ही शिक्षा ग्रहण करने आते है। जिनकों न तेा यातायात के नियमों का ज्ञान हेाता है और न ही लाइसेन्स। हालाँकि अगर देखा जायें तो यातायात व्यवस्था कों बिगाडनें में लडकियां भी कम नही है बिना किसी भय के किशोर व किशोरियों द्वारा दो-दो तीन-तीन सवारियों के साथ सडकों पर तेज दौडतें देखा जा सकता है। यातायात विभाग द्वारा अगर अभियान भी चलाया जाता है तों लडकों को तो पकड लिया जाता है मगर लडकियों व महिलाओं की कहीं भी चैकिग नही की जाती न ही चैकिग के दौरान कही महिला पुलिस लगाई जाती है जिसके चलते लडकियां बिना डर के तेज रफ्तार वाहनों को लेकर सडकों पर दौडती नजर आती है।
वाहन चालक कान में दबाकर फोन पर कर रहे बात –
माह नवम्बर को भले ही यातायात माह के रूप में मनाया जाता हो। यातायात के प्रति लोगों को भी यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया जाता है। इसके बाद भी अधिकतर वाहन चालक यातायात नियमों की अव्हेलना करते देखें जा रहें है। हालात यह है कि नगर में सडको पर छोटे से लेकर बडे वाहन चालकों को कभी भी वाहन चलाते समय फोन पर बात करते हुए देखा जा सकता है। कई वाहन चालक ईयरफोन को कान में लगाकर बात करते हुए देखे जा रहे है तथा वाहन चालक वाहन चलाते समय फोन को कन्धे से दवाकर तथा कान में लीड लगाकर बात करते हुए देखे जा रहे है। जिन पर जिम्मेदारों द्वारा कोई ध्यान नही दिया जा रहा हैै। इससे यातायात माह में भी लोग खुलेआम वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करते हुए यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे है।