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फाइलेरिया से मुक्ति के लिए दवा का सेवन करना जरूरी

उरई (जालौन) फाइलेरिया मुक्त अभियान के तहत कुठौंद ब्लाक के मदारीपुर ब्लाक संसाधन केंद्र (बीआरसी) में शिक्षकों को दवा खिलाने के बारे में जागरुक किया गया।
कुठौंद पीएचसी के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अवनीश कुमार ने बताया कि फाईलेरिया रोग मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। यह संक्रमक रोग है जिसे आमतौर पर हाथीपांव के नाम से जाना जाता हैं। समय रहते हुए अगर दवा सेवन न किया जाए तो यह बीमारी विकराल रूप धारण करते हुए विकलांगता का कारण भी बन जाती हैं। फाइलेरिया रोग की पहचान लक्षणों के आधार पर की जा सकती है। जैसे पैरों व हाथों में सूजन और हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के बाद बीमारी होने में 5 से 15 वर्ष तक लग जाते है। उन्होंने बताया कि इस दवा का सेवन 2 वर्ष से कम आयु, गर्भवती एवं गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर सभी व्यक्तियों को अपनी उपस्थिति में करानी है। यह दवा खाली पेट किसी को नहीं खानी है
पीसीआई संस्था के जिला समन्वयक सुनील कुमार गुप्ता ने 22 नवंबर से 7 दिसंबर तक जनपद में स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा घर.घर जाकर अपने सामने ही फाइलेरिया रोग से बचाव की दवा का सेवन कराया जाएगा यह दवा साल में एक बार ही खानी हैं जो पूर्णया निशुल्क है। उन्होंने शिक्षकों से कार्यक्रम में सहयोग देने की अपील करते हुये कहा कि शिक्षण संस्थाओं में बच्चों एवं उनके परिवार के लोगों जागरूक करते हुए प्रत्येक शैक्षिक दिवस में ब्लैक बोर्ड पर फाइलेरिया कार्यक्रम की दिनांक को अंकित करे ताकि सभी को कार्यक्रम की जानकारी हो सके। प्रचार प्रसार के लिए गांव का भ्रमण करते हुए फाइलेरिया से संबंधित वीडियो क्लिप को दिखाएं एवं स्कूलों में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन करे ताकि जिससे बच्चों में फाइलेरिया रोग के प्रति समझ बढ़े और कार्यक्रम को गति प्रदान हो सके। शिक्षकों ने फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।

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