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जीव और परमात्मा के बीच संबंधों की गहराई बताती है कृष्ण और सुदामा की मित्रता : पं० दीपक त्रिपाठी

कोंच/जालौन। यहां नईबस्ती विजय के बगीचे में शिव मंदिर पर चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस कथा प्रवक्ता पं. दीपक त्रिपाठी ने भगवान द्वारिकाधीश और उनके बाल सखा सुदामा के बीच भक्त और भगवान के अटूट संबांधों की कथा सुनाई। उन्होंने कहा, जीव और परमात्मा के बीच संबंधों की गहराई बताती है कृष्ण और सुदामा की मित्रता। परमात्मा तो सर्व व्यापी है और और उससे कभी कुछ मांगने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, वह तो बिना मांगे ही सब कुछ दे देता है। जिस प्रकार अपने परम भक्त सुदामा को बिना मांगे ही दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया। उन्होंने कहा कि सुदामा निश्छल भक्ति के प्रतीक हैं जिन्होंने अभावों के साथ जीवन यापन स्वीकार किया लेकिन कभी परमात्मा के समक्ष हाथ नहीं फैलाए।

कथा व्यास ने भगवान द्वारिकाधीश और सुदामा की मित्रता की भावपूर्ण कथा सुनाते हुए कहा, यह प्रसंग निश्छल मैत्री संबंधों के साथ आदर्श मित्रधर्म की भी शिक्षा देता है। इसके साथ ही एक और भी सीख मिलती है कि केवल अपने भाग पर ही भरोसा करना चाहिए, दूसरों का भाग हड़पने बाले को भोगना पड़ता है जैसा कि सुदामा ने शिक्षा काल में भगवान कृष्ण के हिस्से के चने खाकर अपने भाग्य में दरिद्रता का वरण कर लिया था। कथा व्यास ने बताया कि सुदामा अभावों का जीवन जीते रहे लेकिन कभी भगवान के प्रति अपनी भक्ति में कमी नहीं आने दी। कभी कभी तो पूरे परिवार को भूखे ही सोना पड़ता लेकिन इस स्थिति के लिए कभी परमात्मा को उलाहना नहीं दिया। एक बार उनकी पत्नी सुशीला ने उन्हें जबरदस्ती द्वारिका पुरी भेज दिया जहां उनके मित्र भगवान द्वारिकाधीश ने उनका खूब आदर किया तथा कांख में छिपाई गई पोटली छीन कर उसमें से दो मुट्ठी तंदुल मुख में डाल कर सुदामा को बिना मांगे ही दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया। कथा व्यास ने भगवान कृष्ण के लीला संवरण तक की कथा सुनाई और कथा को विश्राम दिया। कथा के अंत में परीक्षित रजनी देवी व रामप्रकाश गौतम ने भागवत जी की आरती उतारी, प्रसाद वितरित किया गया। इस दौरान अजय गौतम, आशुतोष गौतम, हरदास गौतम, सीताराम गौतम, अजय गौतम, राहुल तिवारी, आदेश, ब्रजेश, महेश, राजेश आदि व्यवस्थाओं में लगे रहे।

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