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वन क्षेत्रों के किनारे कोई भी ज्वलनशील सामग्री को न फेंके – अंकेश कुमार

उरई। प्रभागीय वनाधिकारी अंकेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 15 फरवरी से 15 जून तक बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण वन क्षेत्रों में अग्नि दुर्घटनाओं की घटनायें अधिक घटित होती है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उ0प्र0 लखनऊ के आदेश के क्रम में गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी अग्नि सीजन में आग की घटनों के अनुश्रवण तथा वन अग्नि घटनओं पर नियंत्रण हेतु प्रभाग स्तर पर अग्नि नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गयी है। 

जनमानस से अपील की जाती हैं कि वन अग्नि घटनाओं के सम्बन्ध में सूचना प्रभाग स्तर पर स्थापित अग्नि नियंत्रण कक्ष, जिसका दूरभाष नं – 8299689544 हैं, पर देने का कष्ट करें, ताकि समय रहते हुये वन अग्नि घटनाओं पर नियंत्रण पाकर बहुमूल्य वन सम्पदा एवं जंगली जानवरों को बचाया जा सकें। प्रभाग के साथ-साथ रेंज स्तर पर अग्नि नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गयी है। जन की सुविधा हेतु निम्न नम्बरों पर भी अग्नि घटना सम्बन्धी सूचना दी जा सकती है। उन्होने बताया कि प्रभागीय वनाधिकारी जालौन – 9415922152, उप प्रभागीय वनाधिकारी उरई – 7007796295, उप प्रभागीय वनाधिकारी कोंच – 9415036031, क्षेत्रीय वनाधिकारी उरई – 6393390210, क्षेत्रीय वनाधिकारी जालौन – 9412182485, क्षेत्रीय वनाधिकारी नियामतपुर – 9451318047, क्षेत्रीय वनाधिकारी कालपी – 9140396158, क्षेत्रीय वनाधिकारी कदौरा – 9792635110, क्षेत्रीय वनाधिकारी एट – 7509332245, क्षेत्रीय वनाधिकारी, कोंच – 9415513378, क्षेत्रीय वनाधिकारी, माधौगढ – 8887867563। 

उन्होने वन अग्नि घटनाओं को रोकने के उपाय में बताया कि वनों के समीप रहने वाले स्थानीय ग्रामीण एवं आम जनमानस से अपील की जाती हैं कि वे ज्वलनशील सामग्री जैसे फसलों के अवशेषों को वनों के किनारे न जलायें और न ही जली हुई बीड़ी एवं सीगरेट को वनों के किनारें फेके। ग्रीष्म काल में वातावरण नमी में कमी, उच्च तापमान व सतह पर गिरी-पड़ी लकड़ी एवं सूखे पत्तों के रूप में ज्वलनशील सामग्री के सम्पर्क में आने पर ज्यादातर वन अग्नि घटनायें घटित होती हैं। ऐसे में वन क्षेत्रों के समीप रहने वाले ग्रामीणों को इससे होने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी देकर जागरूक किया जाना आवश्यक है। इस हेतु प्रशासन व जिला कृषि अधिकारी से समन्वय कर इसे पूर्णतः रूकवाने का प्रयास किया जाना आवश्यक है, ग्रामीणों एवं वृक्षारोपणों में तैनात वाचरों तथा अन्य श्रोतों से वन अग्नि की घटना की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल प्रभावी कार्यवाही अमल में लाई जानी आवश्यक है, रेंज स्टाफ/वन कर्मियों द्वारा वन क्षेत्रों का अधिक से अधिक/नियमित रूप से निरीक्षण किया जाना आवश्यक हैं, ताकि वन अग्नि घटनाओं होने पर समय रहते हुये वन अग्नि घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सके।

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