न्याय की आस में पिछले छब्बीस सालों से दर दर भटक रही महिला
चोरी के झूठे आरोप में पति को किया गया था बर्खास्त, महिला ने एसडीएम से लगाई न्याय की गुहार

कोंच/जालौन। एक दुखियारी महिला पिछले छब्बीस साल से न्याय के लिए कभी इस दर तो कभी उस दर पर माथा रगड़ रही है लेकिन न्याय अभी भी उसे नहीं मिल सका है। उसके पति (अब दिवंगत) को चोरी के झूठे आरोप में पहले निलंबित और फिर बर्खास्त कर दिया गया था। अब एक बार फिर उसने एसडीएम के यहां न्याय पाने के लिए दरवाजा खटखटाया है।
ग्राम एदलपुर थाना जालौन निवासी वृद्ध महिला शोभारानी पत्नी स्व. धनलाल वाल्मीकि ने एसडीएम कोंच अंगद सिंह यादव को प्रार्थना पत्र देकर बताया कि उसके पति (अब स्वर्गीय) धनलाल की चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति स्थानीय मथुरा प्रसाद महाविद्यालय में 1976 में हुई थी। वर्ष 1997 में कुर्सी चोरी के आरोप में पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराकर निलंबित कर दिया गया था। निलंबन अवधि में पति को निलंबन भत्ता देने का भी आदेश जारी किया गया था। कुछ दिनों बाद उसके पति की सेवा समाप्ति कर इसका पत्र क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के अनुमोदन हेतु भेज दिया गया था जिसे क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी ने अवैधानिक माना था। महिला ने प्रार्थना पत्र में बताया कि उक्त मामले को लेकर पति ने न्यायालय की शरण ली थी जिसमें न्यायालय ने वर्ष 2011 में पति को चोरी की दर्ज रिपोर्ट में दोष मुक्त कर दिया था जबकि पहले निलंबन फिर सेवा समाप्ति का मामला न्यायालय में विचाराधीन चलता रहा। मामला विचाराधीन होने के बाद भी चौकीदार पद पर अस्थायी रूप से नियुक्त किए गए एक व्यक्ति को स्थायी नियुक्ति दे दी गई थी। महिला ने प्रार्थना पत्र में कहा कि न्यायालय से चोरी की दर्ज रिपोर्ट में दोषमुक्त होने के बाद भी उसके पति को न तो निलंबन अवधि के दौरान का वेतन भत्ता दिया गया और न ही सेवा बहाल कर पेंशन आदि का लाभ दिया गया। महिला ने एसडीएम से कहा कि वह जीवन के अंतिम पड़ाव पर है और चाहती है कि जीते जी उसे न्याय दिलाया जाए।