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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव रेनू यादव ने मध्यस्थों के साथ की समीक्षा बैठक

उरई/जालौन। मध्यस्थता एवं सुलह-समझौता केन्द्र के कार्य में गतिशीलता लाये जाने एवं सफल मध्यस्थता का प्रतिशत बढ़ाये जाने के उद्देश्य से माननीय अध्यक्ष/जनपद न्यायाधीश तरूण सक्सेना के निर्देशानुसार सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रेनू यादव द्वारा आज अपरान्ह मध्यस्थों की समीक्षा बैठक ली गयी।

मध्यस्थता एवं सुलह-समझौता केन्द्र में नये प्रकृति के आ रहे फौजदारी, मोटर दुर्घटना प्रतिकर, आर्बिट्रेशन मामलों एवं सिविल वादों में मध्यस्थता कराये जाने की रणनीति पर इस बैठक में विचार-विमर्श किया गया तथा वैवाहिक व पारिवारिक विवादों की पृष्ठभूमि और पक्षकारों की मंशा को समझने के लिये मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। पक्षकारों की निजता बनाये रखने एवं सुलह-समझौता केन्द्र में घरेलू वातावरण देने की आवश्यकता अनुभव की गयी।

सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रेनू यादव द्वारा समस्त मध्यस्थों को मध्यस्थों को निर्देशित किया गया कि वह भविष्य में और प्रभावी एवं परिणामोन्मुखी मध्यस्थता करायें, ताकि कुछ मामले ऐसे है, जिनमें मध्यस्थता प्रारम्भ नहीं हो सकी। इसका कारण पूछने पर मध्यस्थों ने बताया कि पक्षकारों की उपस्थिति अत्यन्त कम है। इस संबंध में यह पाया गया कि मध्यस्थों द्वारा ‘‘उत्तर प्रदेश सिविल प्रक्रिया मध्यस्थता नियमावली, 2009‘‘ की अनुसूची-4 का पालन नहीं किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में सभी मध्यस्थगण से अपेक्षा की गयी कि अनुपस्थित पक्षकार की उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु मध्यस्थगण पक्षकार को नोटिस तैयार कर सूचित करेंगे।

इस संबंध में उक्त नियमावली की अनुसूची-4 में प्रावधानित व्यवस्था का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया। सभी मध्यस्थों ने अनुपालन सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। उपस्थित मध्यस्थगण को आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत तथा प्री-लिटिगेशन के प्रकरणों में भी सहयोग देने हेतु प्रेरित किया गया। उक्त बैठक में मीडियेटर्स मनोज कुमार दीक्षित, विनोद प्रकाश व्यास एवं विश्राम सिंह निरंजन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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