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हाशिये पर जीवन यापन करने वाले समुदायों कर मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए सबको आगे आना होगा : कुलदीप बौद्ध

अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सामूहिक चिंतन
उरई (जालौन) बुंदेलखंड में लगातार हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंतित अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं और जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज एक राज्य स्तरीय बैठक उरई के सिटी सेंटर में की जिसमे बुंदेलखंड एवं उत्तरप्रदेश के कई जिलों के अधिवक्ताओं एवं मानवाधिकार जन संगठनों ने भाग लिया। यह आयोजन बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच व ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क एवं सोशियो लीगल इनफॉर्मेशन सेंटर की ओर से आयोजित किया गया।

कार्यक्रम संयोजक बुन्देलखण्ड दलित अधिकार मंच के संयोजक कुलदीप कुमार बौद्ध ने हाशिये पर जीवन यापन करने बाले समुदायों कर मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए सबको आगे आना होगा बुंदेलखंड में मानवाधिकार के मुद्दों और गंभीरता पूर्वक सोचना व उस पर पर काम करने की जरूरत है। कार्यक्रम का उद्देश्य रखते हुए कार्यक्रम की शुरुआत माता सावित्री बाई फुले व बाबा साहब डॉ आंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई। वही, बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, महोबा, बाँदा, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, कानपुर नगर व देहात से आये लोगों ने अपने केसों व वहां के हालातों के बार में रखा। इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता कोलिन गोंसालवेस ने प्रतिभागियों को बताया की मानवाधिकारों के उल्लंघन को जनहित याचिका के माध्यम से रोका जा सकता है। अधिवक्ताओं को आगे आकर लीगल एड देने की आवश्यकता हैं। ट्रेड यूनियन लीडर विष्णु शुक्ला ने बताया की मजदूरों की हालत अभी भी सुधरी नहीं है और आने वाला समय और भी बेहतर हो उसके लिए एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे मानवाधिकार अधिवक्ता मोहम्मद दानिश ने बताया की दलित एवं अल्पसंख्यक समुदाय के साथ होने वाले अत्याचार के मामलों में कानूनी सहायता देने के लिए एक लीगल एड सेंटर उरई किले में चलने की आवश्यकता है। नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बोंडेड लेबर के कन्वीनर निर्मल अग्नि ने बुंदेलखंड के बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास का मुद्दा उठाया और बताया की बुंदेलखंड के मुक्त बंधुआ मजदूर आज पुनर्वास को तरस रहे है। साथ ही बंधुआ मजदूरों के सर्वे की आवश्यकता बताई। विभिन्न जिलों से आये बदन सिंह, भानु, एड.मुकेश कुमार, नत्थी देवी, अशोक कुमार, रिहाना मंसूरी, एड. मतलूक चंदेल, सुनीता लकड़ा, नंदकुमार बौद्ध, प्रेम नारायण पाल, नरपाल,मणि व दीपा ने कहा कि यहाँ शौचालय की योजना मात्रा कागजों में सिमट कर रह गई है वही स्कॉलरशिप की योजना के क्रियान्वयन हेतु जनहित याचिका का सहारा लेना होगा और इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। क्योंकि यह पर हम पीड़ितों की कोई नही सुनता है। राज्य स्तरीय बैठक के समापन समारोह में उरई जिले के अधिवक्ताओ ने एक मानवाधिकार नेटवर्क स्थापित करने की घोषणा की। कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम समापन किया गया।

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