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दुत्कारने की बजाय कार्रवाई करते कोतवाल तो बच जाती मामा भांजे की जान

परिजनों ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
उरई। नगर कोतवाली अंतर्गत कांशीराम कालोनी निवासी मामा भांजे गत 29 अप्रैल को संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे। जब काफी कोशिशों के बाद परिजनों को उनकी जानकारी न मिली तो उन्होंने पुलिस से शिकायत की लेकिन अपनी आदतों से मजबूर कोतवाल ने गरीबों की शिकायत को नजरअंदाज कर दिया और दुत्कार कर कोतवाली से भगा दिया। आज सिरसा कलार थाना क्षेत्र के जंगलों में दोनों के अधजले शव बरामद हुए। मामले को लेकर परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

कांशीराम कालोनी निवासी राशिद (25 वर्ष) पुत्र बसीर व उसका मामा इंदिरा नगर निवासी नसीम (22 वर्ष) पुत्र शेरखान बीती 29 अप्रैल को संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे। दोनों कोंच बस स्टैंड पर चूड़ी की दुकान पर बैठते थे। घटना वाले दिन ही नसीम की मां कपूरी एवं राशिद की मां भूरी ने परिजनों के साथ कोतवाली पहुंचकर अपने बेटों के लापता होने के संबंध में तहरीर दी। तहरीर में इंदिरा नगर निवासी रफीक एवं अनीश को नामजद करते हुए आरोप लगाया कि उन लोगों ने उनके बेटों के उठा ले जाने की धमकी दी थी पर पुलिस ने तहरीर को गंभीरता से नहीं लिया। उल्टा युवकों के लापता होने पर स्वजनों पर ही आरोप लगाते हुए उन्हें दुत्कार कर कोतवाली से भगा दिया। इसके बाद व राशिद व नसीम के स्वजन कोतवाली के चक्कर लगाते रहे पर पुलिस नहीं पसीजी जिसके चलते परेशान परिवार वालों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर मामले की शिकायत की जिसके बाद पुलिस हरकत में आई आरोपियों से पूछताछ की तो दोनों की हत्या होने का पता चला। घटना स्थल पर जब पुलिस सोमवार रात को सिरसा कलार थाना क्षेत्र के जंगल में पहुंची तो वहां दो शव जले मिले। शव लगभग राख में तब्दील हो चुके थे और कंकाल मात्र बचा था जिस कारण मृतकों को पहचान पाना मुश्किल था जिस पर पुलिस ने मौके पर लापता मामा भांजे के परिजनों को बुलाया तब जूतों व कपड़ों से उनकी पहचान चार दिन से लापता नसीम व राशिद के रूप में हुई। कपूरी व भूरी का कहना है कि पुलिस ने उनके बेटों को अगवा करने वालों को पहले शिकायत मिलते ही पकड़ लिया होता तो उनकी जान बच गई होती। पुलिस अधीक्षक डा. यशवीर सिंह ने कहा कि चौकी इंचार्ज व प्रभारी निरीक्षक उरई कोतवाली की प्रथम दृष्टया लापरवाही सामने आई है। पूरे मामले की प्रारंभिक जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

परिजनों ने पुलिस पर लगाया जलील कर भगाने का आरोप –
मरने वालों के घरवालों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी फरियाद सुनकर मदद करने की बजाय उन्हें जलील किया और कोतवाली से चलता कर दिया। मृतक रसीद के पिता बशीर तथा अन्य घरवालों के अनुसार 29 अप्रैल की शाम को छह बजे रसीद और उसके मामा नसीम के गायब होने और उसके बाद दोनों के मोबाइल बंद पाए जाने के बाद उन्होंने कोतवाली पुलिस को लिखकर तहरीर दी और जिन पर शक था उनके नाम भी बताए लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि कोतवाल द्वारा बहुत ही गंदे शब्दों का इस्तेमाल किया गया।

मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी की थी शिकायत –
कोतवाली से दुत्कार के बाद परिजनों ने काफी जगह मामा और भांजे की तलाश की लेकिन कोई अतापता नहीं चला। कोतवाली पुलिस का साथ न मिलने के चलते परिजनों ने गत 1 मई को मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने परिजनों को बुलाकर उनकी तहरीर ली। परिजनों का कहना है कि अगर पुलिस मामले को गंभीरता से लेती तो दोनों की जान बच सकती थी।

मामा भांजे की मौत के बाद भी नहीं पसीजा कोतवाल का दिल –
मामा भांजे के शव बरामद होने के बाद मृतकों के घर की महिलाएं कोतवाली पहुंच गई और वहीं रोने पीटने लगी। काफी देर तक महिलाए कोतवाली परिसर में जमीन में पड़ी रोत बिलखती रही लेकन कोतवाल का दिल तब भी नहीं पसीजा। यहां तक कि वह न तो खुद महिलाओं को दिलासा देने के लिए आए और न ही किसी पुलिस कर्मी को भेजकर मातम मना रही महिलाओं को समझाना बुझाना उचित समझा। कोतवाल का यह अमानवीय दृष्टिकोण जिस व्यक्ति ने भी देखा वह पूरे पुलिस विभाग को कोसता नजर आया।

 

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