गांव की संस्कृति और परंपराओं पर आधारित गांव चलचित्र मेला का ऑनलाइन किया गया आयोजन

उरई/जालौन। गांव की संस्कृति और परंपराओं पर आधारित गांव चलचित्र मेला का ऑनलाइन आयोजन 10 जून से 17 जून तक किया गया। इस आयोजन में समस्त देश के चलचित्र से जुड़े विद्वानों में भाग लिया। गांव चलचित्र मेला में गांव चलचित्र में उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी एवं उपन्यास पर बनी फिल्मों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ पत्रकार पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर ने किया कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे के प्रशिक्षण प्राप्त कुलदीप सिन्हा ने की l
मुंशी प्रेमचंद के साहित्य पर बने चलचित्र पर आपने विस्तार से जानकारी फिल्मकार नरेंद्र सिंह ने दी। आपने गुल्ली डंडा, बड़े भाई साहब और कफन जैसी फिल्मों का निर्माण किया है। गांव चलचित्र मेला में लोक कहानियों, लोकगीतों, कवि, शायर, गांव चलचित्र के अनछुए पहलू एवं गांव चलचित्र में गांव विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। चर्चा में किशोर श्रीवास्तव नई दिल्ली, रेणु त्रिवेदी रांची, अनिल दुबे मुबई, राजकुमार रायकवार सागर, कमलेश, नरेंद्र मोहन मित्र, अंजनी कुमार मुंबई, संजय सिंघाल कोच, डॉक्टर नईम कोच प्रवीण चंद्रा कास्टिंग डायरेक्टर मुंबई, सागर त्रिपाठी मुंबई राजकुमार अंजुम झांसी, फ़ानी जोधपुरी जोधपुर, लक्ष्मी नारायण शर्मा झाँसी, रवि मिश्रा, डा राम शंकर भारती, विनोद मिश्रा सुरमनि दतिया, संजय सेठ जापान आदि विद्वानों ने प्रतिभागीता की। गांव चलचित्र मेला के समापन अवसर पर मुख्य मार्गदर्शक राजा बुंदेला ने कहा बुंदेली सिनेमा के विकास में धैर्य धारण करके कार्य करते जाना हैं। मेरा लक्ष्य बुंदेलखंड राज्य निर्माण और सिनेमा है मैं निरंतर दोनों के लिए सक्रियता से कार्य करने को तत्पर हूं। मुख्य अतिथि मुकेश बच्चन प्रभारी निदेशक दूरदर्शन ने कहा कि मैं चलचित्र के विकास में तन मन धन से तैयार हूं। आप सभी झांसी आए इस पर एक वृहद रूपरेखा तैयार की जाए। हम सब संगठित होकर कार्य करेंगे एक दिन अवश्य लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। मुख्य वक्ता डॉ पुनीत बिसारिया ने कहा कि विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में बुंदेली कवियों एवं इतिहासकारों को शामिल किया गया है। चलचित्र की महत्ता को समझते हुए चलचित्र भी पाठ्यक्रम में शामिल हुआ है। सम्मानित अतिथि अनिल दुबे भोपाल ने कहा की मेरी माता डॉक्टर लता दुबे ने बुंदेली शब्दकोश की रचना की। यह शब्दकोश प्रकाशित भी हुआ है। बुंदेलखंड में चलचित्र के विकास के लिए मेरा जो भी योगदान होगा मैं सदैव देने को तत्पर हूं। कार्यक्रम समन्व्यक आरिफ शहडोली ने कहा कि गांव चलचित्र मेला ऑनलाइन बड़े बुजुर्गों को समर्पित है। यह मेला उन बुजुर्गों की स्मृतियों को समर्पित है, जिनकी प्रेरणा से हम प्रगति पथ पर अग्रसर हुए हैं। नाना शायर हाफिज मुनव्वर अली बीएस कादरी पुष्प, डॉक्टर सुखलाल चिरगांव, डॉक्टर लता दुबे, केवी सिंह, गोमती देवी, अरुण श्रीवास्तव मुन्ना, अध्यापिका शांति सक्सेना, स्मृति सम्मान स्मृति सम्मान से आगंतुक अतिथियों को सम्मानित किया गया। आरिफ ने कहा भविष्य में गांव चलचित्र मेला गांव-गांव में आयोजित किया जाएगा। सरकार से गांव में हाल लेकर टिकट द्वारा फिल्म दिखाने की अनुमति मांगी जाएगी। गांव के बच्चे भी चलचित्र निर्माण की बारीकी को समझेंगे और अपने गांव के संस्कारों को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करेंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने में युवा शायर दिल शेर दिल का महत्वपूर्ण योगदान रहा आपने निरंतर मेहनत करके कार्यक्रम के रूप को अपनी कलाकृति के माध्यम से सुसज्जित किया। निर्देशक एवं बुंदेली झलक के संस्थापक जी एस रंजन ने समूचे कार्यक्रम का विधिवत संचालन किया। आपने सभी से निवेदन किया की बुंदेलखंड फिल्म उद्योग को अपना साथ दें। कभी भी तकनीकी दृष्टि से कोई भी सहायता हो निसंकोच कहे कार्यक्रम में डॉक्टर नईम ने आभार ज्ञापित किया।