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प्रकृति के बिना मानव-जीवन का कोई अस्तित्व नहीं : रेनू यादव

उरई/जालौनविश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर माननीय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों तथा माननीय जिला न्यायाधीश श्री लल्लू सिंह के कुशल मार्गदर्शन में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रेनू यादव ने जिला कारागार उरई परिसर में पौधे रोपकर पेड़-पौधों के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहाकि मानव-जीवन प्रकृति की देन है। प्रकृति और मानव जीवन का परस्पर अटूट सम्बन्ध है। प्रकृति के बिना मानव-जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। इसलिये पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक है।

पेड़-पौधों की अन्धाधुन्ध कटान से जहां एक ओर पर्यावरण में असन्तुलन के कारण जलवायु परिवर्तन हुआ है, वहीं दूसरी ओर वायु प्रदूषण और वातावरण में तापमान तेजी से बढ़ रहा है एवं आक्सीजन की कमी होती जा रही है। इसका निदान बड़े पैमाने पर पौधरोपण से ही हो सकता है। इसलिये हम सभी का नैतिक दायित्व है कि अधिक से अधिक पौधे लगाकर वसुन्धरा को हरा-भरा बनायें। इसके लिये सभी बन्दी पौधों को गोद लेते हुए उनके संरक्षण व विकास के लिये प्रण लें। इस अवसर पर आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में उपस्थित सिद्धदोष/ विचाराधीन बन्दियों को महत्वपूर्ण कानूनी जानकारी प्रदान की गयी।

सचिव श्रीमती यादव द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिये लिये गये संकल्प और अपनायी गयी थीम ‘‘पॉलीथीन मुक्त पर्यावरण‘‘ के सम्बन्ध में बताया कि सिंगल यूज पॉलीथिन पारिस्थितिकी तंत्र के लिये अत्यंत घातक है। यह जमीन को बंजर बना सकता है, वहीं नदी व समुद्र को भी नकारात्मक रूप में प्रभावित कर रहा है। इस लिये पॉलीथीन के स्थान पर कपड़े/ हैण्डमेड पेपर के बैग अथवा अन्य वैकल्पिक साधन अपनायें। कारागार अधीक्षक नीरज देव ने स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुये बताया कि इस वर्ष कारागार में 1200 पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, ताकि पौधो की संख्या में वृद्धि करते हुये यहां और अधिक हरियाली लायी जा सके। इस कार्यक्रम में जेल चिकित्सक डा0 राहुल वर्मन, प्रभारी कारापाल तारकेश्वर सिंह, उपकारापाल पूनम तिवारी, मिथलेश शुक्ला, वरिष्ठ सहायक डीएलएसए कार्यालय अश्वनी कुमार मिश्र, पीएलवी टीम लीडर प्रतापभान, पंकज कुमार, राखी तिवारी, सुमोद नगाईच एवं करन सिंह यादव समेत सिद्धदोष/ विचाराधीन बन्दी उपस्थित रहे।

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