‘नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय हो नंदलाल की’

कोंच/जालौन। समीपस्थ ग्राम नरी में चल रहे 11 कुंडीय श्री विष्णु महायज्ञ के कथा पंडाल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में सोमवार को कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरी जी महाराज ने भगवान के विभिन्न अवतारों की कथाएं सुनाते हुए कृष्णावतार की भी कथा सुनाई जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए।
कथा व्यास ने कहा, कंस के पाप, देवकी के संताप और उग्रसेन के श्राप से जब पृथ्वी पर राक्षसी प्रवृत्तियों के अत्याचार इतने बढ़ गए कि पृथ्वी कराहने लगी। जब पापों का बोझ सहन करने की उसकी क्षमता समाप्त हो गई तो उसने परमात्मा श्रीहरि की शरण में जाकर इन राक्षसी प्रवृत्तियों के अंत की विनय की। पृथ्वी की करुण पुकार पर श्रीहरि बिष्णु ने सोलह कलाओं के साथ ब्रज में कृष्ण रूप में अवतार धारण किया और कंस सहित तमाम राक्षसों का वध करके पृथ्वी का भार हटाया। कथा व्यास ने चौथे दिन की कथा में भगवान कृष्ण के अवतरण से पूर्व भक्त प्रह्लाद चरित्र के दौरान नृसिंह अवतार की कथा, समुद्र मंथन की कथा, वामन अवतार, रामावतार आदि की भी कथाओं का रसपान श्रोताओं को कराया। कथा व्यास कहते हैं कि भक्तों की पुकार सुनकर भगवान को आना ही पड़ता है। परीक्षित रामदेव श्रीवास्तव ने भागवत जी की आरती उतारी एवं आयोजन कमेटी के लोगों द्वारा प्रसाद वितरित कराया गया।
धनुष यज्ञ लीला के मंचन में रावण वाणासुर संवाद का आनंद लिया दर्शकों ने –
ग्राम नरी में चल रहे श्री विष्णु महायज्ञ में रविवार रात धनुष यज्ञ लीला का शानदार मंचन किया गया जिसमें दर्शकों के विशाल जनसमूह ने रावण-वाणासुर व लक्ष्मण-परशुराम संवादों का आनंद लिया। श्री रामराजा सरकार रामलीला समिति के तत्वाधान में श्री विष्णु महायज्ञ नरी में रामलीला मंचन चल रहा है। रविवार रात धनुष यज्ञ लीला प्रसंग में दिखाया गया, देश देशांतर के राजा महाराजा महाराज जनक की रंगशाला में एकत्रित हुए। राजा जनक ने भरी सभा में घोषणा की कि जो भी शिव धनुष पिनाक का खंडन करेगा उसी के साथ वह अपनी तनया सीता का विवाह करेंगे। जब कोई भी राजा धनुष को हिला भी न सका तो राजा जनक ने क्रोधावेग में कहा, वह अपने प्रण को लेकर पछता रहे हैं, पुत्री का विवाह विधाता ने लिखा ही नहीं है। उसी समय लक्ष्मण को क्रोध आ गया और राजा जनक को खरी-खोटी सुनाई। ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा पाकर प्रभु राम ने धनुष भंग कर दिया और सीता ने राम के गले में जयमाला डाल दी। राम की भूमिका अंकित सिकरी, लक्ष्मण की गोविंद दुवे, सीता सोनू शर्मा मऊरानीपुर, जनक प्रेम किशोर चमरसेना, रावण नीरज गौर कानपुर, वाणासुर देवेंद्र गौर कानपुर, रामजी पटेल शिवा गोस्वामी आदि कलाकारों ने विभिन्न भूमिकाएं निभाई।