आत्मा का परमात्मा से मिलन ही महारास है : इंद्र देवेश्वरानंद

कोंच/जालौन। यहां कंजड़बाबा के समीप चल रही श्रीमद्भागवत कथा में षष्ठम दिवस कथा व्यास युग प्रवर्तक राष्ट्रीय संत इंद्र देवेश्वरानंद महाराज ने महारास, गोपी गीत और गोवर्धन पूजा की कथाएं सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा प्रवक्ता ने कहा कि महारास वस्तुत: आत्मा का परमात्मा से मिलन और एक भक्त का भगवान के प्रति ऐसा निश्चल प्रेम है जिसे शब्दों में व्यक्त ही नहीं किया जा सकता है। कान्हा के राधा व गोपियों संग किए गए महारास में समय की गति थम गई थी। चंद्रमा अस्त नहीं हुआ तथा न ही सूर्य उदय हुआ, यमुना का पानी रुक गया तथा गोपियों के हृदय में श्रीकृष्ण बस गए थे।
कथा व्यास ने बताया कि कान्हा के द्वारा किया गया महारास बहुत ही मनोहर व प्रेम से परिपूर्ण था जिसकी केवल कल्पना मात्र ही सबके हृदयों को भावपूर्ण कर देता है, तो सोचिये जो इसकी साक्ष्य बनी थीं उन गोपियों की क्या दशा हुई होगी। स्वयं राधा ने जब कान्हा की मुरली की धुन सुनी तो वह यमुना किनारे नंगे पैर दौड़ पड़ी थी। वह केवल कान्हा की बंसी की दिशा में दौड़े जा रही थी। इस तरह आत्माओं का परमात्मा से मिलन बहुत ही विचित्र था। कथा व्यास ने कहा, ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा की तैयारियां करते देख गोपाल कृष्ण ने उन्हें इंद्र के बजाए उस गोवर्द्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा जो जीवों के जीविकोपार्जन के लिए सब कुछ देता है। ब्रजवासियों ने कृष्ण का कहना मानकर गोवर्द्धन की पूजा की तो इंद्र ने कुपित होकर प्रलयंकारी बर्षा कर ब्रजवासियों को त्रास दिया, लेकिन कृष्ण ने अपनी कनिष्का पर गोवर्द्धन धारण कर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का गर्व चूर किया। संगीतमय भजनों पर श्रोता खूब झूमे। अंत में कथा परीक्षित देवेंद्र राठौर ने भागवत जी की आरती उतारी, प्रसाद वितरित किया गया। इंद्रजीत राठौर, ट्विंकल, हिमांशु, अर्जुन, धर्मेंद्र राठौर आदि व्यवस्थाओं में लगे हैं।