राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक मामले सुलह से निस्तारित कराये जायें : रेनू यादव

उरई। सुलह योग्य लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण और मध्यस्थता के कार्य में गतिशीलता लाये जाने के उद्देश्य से आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव श्रीमती रेनू यादव ने न्यायिक प्रतिष्ठान स्थित सुलह-समझौता केन्द्र के मध्यस्थों की बैठक ली।
इसमें उन्होंने सभी मध्यस्थों के कार्यों की समीक्षा करते हुये इस बात पर जोर दिया कि जो मामले कोविड-19 की गाइडलाइन के कारण लॉक डाउन के पहले से लंबित हैं, में शीघ्रता पूर्वक पक्षकारों के मध्य सुलह-वार्ता सम्पन्न की जाये, ताकि उनके मामले सम्बन्धित न्यायालयों को विधि अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित किये जा सकें। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा मध्यस्थों से वार्ता करते हुये मध्यस्थता कार्य में आ रही बाधाओं को जाना समझा और उनके समाधान हेतु परामर्श भी दिया। कोरोना लॉकडाउन के कारण लंबे समय से अवरूद्ध न्यायिक कार्य और वादकारियों के सीमित प्रवेश के कारण आम पक्षकार नहीं आ पा रहे थे। अभी भी कुछ प्रकरण में पक्षकार उपस्थित नहीं हो रहे हैं यह तथ्य संज्ञान में आने पर सचिव श्रीमती रेनू यादव ने मध्यस्थों का ध्यान आकर्षित कराते हुये कहा कि मध्यस्थता नियमावली की अनुसूची-4 में प्राविधानिक व्यवस्था का अनुपालन सुनिश्चित किया जाये। सम्बन्धित पक्षकार को नोटिस प्रेषित कर मध्यस्थता की कार्यवाही में उपस्थित होने हेतु सूचित किया जाये। राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक मामले सुलह से निस्तारित कराये जाने हेतु मध्यस्थों से अपील की गयी। सचिव श्रीमती यादव ने आज इसी क्रम में तहसील क्षेत्र उरई में कार्यरत पैरा विधिक स्वयं सेवकों की भी बैठक बुलाई और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने नालसा/सालसा के प्लान ऑफ एक्शन एवं समय-समय पर निर्गत विभिन्न दिशा निर्देशों के अनुपालन हेतु पीएलवी को निर्देशित किया और उन्हें बताया कि वे अपने कार्यक्षेत्र में ऐसे निराश्रित बच्चों को चिन्हित करें जिनके माता-पिता या अभिभावक कोविड- 19 या अन्य किसी बीमारी के कारण दिवंगत हो चुके हैं। इनकी सूची तैयार कर सम्बन्धित उप-जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में एवं इसकी एक प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय में प्रस्तुत करें। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आगामी 11 सितम्बर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत का प्रचार प्रसार करने और इसमें अधिक से अधिक वादकारियों की सहभागिता कराये जाने की भी बात कही। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा इस बात पर विशेष बल दिया गया कि सभी पीएलवी यह सुनिश्चित करें कि उनके कार्यक्षेत्र में ऐसा कोई भी पीड़ित व्यक्ति या वादकारी न हो जो किसी प्रकार की विधिक सहायता से वंचित रह जाये।