तो क्या समाजवादी पार्टी में जमीनी नेताओं की कोई इज्जत नहीं … ?

उरई (जालौन) पिछले कुछ महीनों से जनपद में समाजवादी पार्टी के पक्ष में जो चुनावी माहौल परवान चढ़ता दिख रहा था वह अब इस शीतलहर में ठंडा पड़ता दिख रहा है। कारण पिछले डेढ दो सालों से तीनों विधानसभा क्षेत्रों में टिकट के जिन दावेदारों ने अपने-अपने क्षेत्रों को मथकर फेंट दिया। लेकिन चुनाव की घंटी बजने पर पार्टी की रेवड़ियों को ऐसे लोग लपकने में कामयाब होते दिख रहे हैं जिनका संबंधित विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के कार्यकर्ताओं तक से कोई संवाद तक नही हो पाया। ऐसे में चुनाव की बेला में समाजवादी पार्टी में पसरा सन्नाटा उसकी आगे की तस्वीर बया करने के लिए हकीकत कहा जा सकता है।
माधौगढ विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट दावेदार एवं शिक्षक नेता अशोक राठौर का नाम सबसे शिखर पर आता है। जो पिछले 16 महीने से माधौगढ विधानसभा क्षेत्र में कम से कम प्रत्येक गांव और कार्यकर्ता से पांच-छह बार संपर्क साध चुके है। पार्टी के बूथ एवं सेक्टर प्रभारियों के समानांतर अपना पूरा संगठन खड़ाकर दिया था जिसमें शिक्षक, शुभचिंतकों के साथ ही उनके कालेजों से निकले छात्र-छात्राओं की पलटन रही जो चुनाव की तारीखी घोषित होने के साथ ही बूथों पर मुस्तैद होने की तैयारी में जुट गई थी। कहने को केशवेन्द्र सिंह, प्रबल प्रताप सिंह, राघवेन्द्र सिंह व अन्य लोग दावेदारों में थे। अब जिन्होनें पार्टी के लिए क्षेत्र में कुछ नही किया ऐसे लोगों को टिकट की रेवड़ी मिलने की चर्चा जोरों पर है।
कालपी विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मेहनत करने वाले दावेदारों में समर सिंह गुड्डू महेबा, प्रदीप दीक्षित, पत्रकार राघव अग्निहोत्री उन लोगों में शामिल है जिन्होने क्षेत्र में अच्छी खासी मेहनत की। इसमें समर सिंह गुड्डू की मेहतन क्षेत्र के हर पार्टी कार्यकर्ता की जुबान से सुनी जा सकती लेकिन मेहनत का कभी मोल नही मिलता वह फिर वह राजनैतिक दल क्यों न हो सपा में भी ऐसा ही हुआ। न तो श्रीराम पाल और न ही विनोद चतुर्वेदी क्षेत्र में जनसंपर्क के नाम पर शून्य रहे लेकिन टिकट लपकने को दोनों नेता आतुर दिख रहे है। उरई जालौन विधानसभा क्षेत्र में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है उरई विधानसभा क्षेत्र पूर्व विधायक दयाशंकर वर्मा, गुलाब सिंह जाटव, सुशीला महेश शिरोमणि, जीवन प्रताप वाल्मीकि और कैप्टन रमाशंकर, संतोष वर्मा जीनू के द्वारा अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने में लाखों रुपये फूंक दिया गया। गुलाब सिंह जाटव ने जहां प्रत्येक गांव में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के फोटो के साथ बूथ अध्यक्षों एवं प्रभारियों को गांव-गांव जाकर सम्मानित कर सीधे जुडने का प्रयास किया उनके यहां पार्टी का झंडा लगाया तो सुशीला महेश शिरोमणि के द्वारा प्रत्येक बूथ प्रभारी एवं अध्यक्ष के दरबाजे पर उनके नाम की नाम पट्टिका लगा दी गयी थी। तो पूर्व विधायक दयाशंकर वर्मा ने भी पार्टी के कार्यक्रमों में बढ़चढकर हिस्सेदारी निभाई लेकिन जब रेवड़ी का वक्त आया तो महेन्द्र कठेरिया लपकने में सफल रहे। जिससे अन्य दावेदार ठगे से रह गये। पार्टी के आम कार्यकर्ताओं का उत्साह भी ठंडा पड़ गया है। जो लोग क्षेत्र में घर-घर जाकर अपने टिकट का दावा कर रहे वह किसी के दरवाजे जाकर सपा के पक्ष में वोट मांगने की शायद ही हिम्मत जुटा पाये।