सीता के चरण में चोंच मार कर भागे रहे जयंत की आंख को राम ने फोड़ा

कोंच/जालौन। बजरिया की रामलीला में मंगलवार रात जयंत उद्धार और ऋषि संवाद लीला का मंचन किया गया जिसमें इंद्र तनय जयंत की आंख फूटने और वनवासी राम की ऋषि मुनियों से ज्ञान चर्चा के प्रसंगों का मंचन हुआ।
श्री नवलकिशोर रामलीला समिति द्वारा संचालित बजरिया की रामलीला के 65वें महोत्सव में मंगलवार की रात ‘जयंत उद्धार और ऋषि संवाद’ लीला का मंचन किया गया जिसमें इंद्र पुत्र जयंत वन वन भटक रहे राम की परीक्षा लेने का विचार मन में बनाकर कौवे का रूप धारण कर चित्रकूट में जनकनंदिनी सीता के पैर में चोंच मार देता है जिससे रक्त प्रवाहित होने लगता है। क्रोध में आकर राम सरकंडे की सींक को अभिमंत्रित कर वाण की तरह जयंत पर छोड़ देते हैं। उस वाण से प्राण रक्षा के लिए जयंत अपने पिता इंद्र, भगवान शंकर और ब्रह्मा समेत तीनों लोकों में बचाओ बचाओ का आर्तनाद करता हुआ भागता है लेकिन कोई भी उसकी रक्षा नहीं करता है।
अंत में देवर्षि नारद को उस पर दया आ जाती है और वह उसे भगवान राम की ही शरण में जाने के लिए कहते हैं। जयंत अपने अपराध के लिए प्रभु राम से क्षमा याचना करता है। दया के सागर राम दंड स्वरूप उसकी एक आंख फोड़ कर उसे प्राण दान दे देते हैं। इसके पश्चात राम सीता और लक्ष्मण चित्रकूट छोड़कर गहन वन में प्रवेश करते हैं और रास्ते में शरभंग, अगस्त्य, अत्रि आदि ऋषि मुनियों के आश्रमों में जाकर उनसे ज्ञान चर्चा करते हैं। अत्रि पत्नी अनुसुइया सीता को स्त्रियोचित ज्ञान की शिक्षा देती हैं। अत्रि की भूमिका पंकजाचरण वाजपेयी, अनुसुइया सूरज शर्मा, सुतीक्ष्ण महावीर आचार्य, शंकर प्रशांत नगरिया, ब्रह्मा रामू पटैरिया, नारद रानू चौरसिया, जयंत मोनू ठाकुर ने निभाई।