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देशी काढ़ा से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता – डॉ. एम.डी. आर्या

उरई/जालौनकोरोना का संक्रमण एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है। पिछली बार की अपेक्षा इस बार चपेट में आने वालों की मौत का ग्राफ बढ़ा है। संक्रमण की गिरफ्त में ऐसे लोग ज्यादा आ रहे हैं जिनकी इम्युनिटी पावर यानि रोग प्रतिरोधिक क्षमता कमजोर है। इसे बढ़ाने के लिए अनेक घरेलू उपाय मौजूद हैं। इसमें देशी काढ़ा की भूमिका अहम है। रोजाना सुबह खाली पेट काढ़ा पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। यह जानकारी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी डा. एम डी आर्या ने दी।

डा. आर्या का कहना है कि नीम के पेड़ पर चढ़ी कम से कम अंगूठे के बराबर मोटाई की गिलोय (गुड़ुची) प्रति व्यक्ति 6 इंच के हिसाब से, चिरायता, नागरमोथा, पित्तपापड़ा, खस, लाल चंदन, सुगंधबाला, सोंठ, मुलेठी, अजवाइन, तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, दाख और पुराना गुड़ डालकर काढ़ा बनाएं। दो गिलास प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी लें और एक चैथाई बचने तक धीमी आंच पर पकाएं व छान कर नीबू रस मिलाकर पियें द्य सुबह खाली पेट चाय की तरह पियें। इससे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। इसके साथ ही हींग, कपूर, गूगल, लोबान, लौग, इलाइची दानों को पीसकर मलमल के कपड़े में नीबू के आकार की पोटली बनाकर घर के सभी सदस्यों के गले में पहनाएं व समय-समय पर इसे सूंघते रहें। इससे संक्रमण का खतरा बहुत कम हो जाता है। उन्होंने बताया कि हर तरह के प्रदूषण से बचना जरूरी है। धूल, अगरबत्ती, धूपबत्ती व मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती या लिक्विड आदि का धुआं भी नुकसान दायक है। मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है। बाजार में मिलने वाली हवन सामग्री से हवन करना भी नुकसानदायक है।

फेफड़ों की एक्सरसाइज प्रतिदिन जरूरी
डा. आर्या ने बताया कि रोजाना सुबह-शाम फेफड़ों का व्यायाम जरूरी है। इसके लिए फुटबाल ब्लैडर को फुलाना, शंख बजाना एवं कपाल भाति-भस्त्रिका, बाह्य एवं आभ्यांतर कुंभक आदि का अभ्यास करें। आभ्यांतर कुम्भक के लिए रीढ़ की हड्डी को सीधा करके पालती मारकर बैठ जाएं। पूरी क्षमता के साथ सांस अंदर भरें और सांस को अंदर ही यथासंभव अधिकाधिक देर तक रोककर रखें। सामान्य मनुष्य में यह समय 20 से 25 सेकेण्ड होना चाहिए। आपकी क्षमता कितनी भी कम क्यों न हो, इसे अगले हर बार 1 या 2 सेकेण्ड बढ़ाने का प्रयास करें। 1-2 सप्ताह के प्रयास से यह क्षमता आसानी से बढ़ जाती है। इस प्राणायाम के अभ्यास से फेफड़ों का फैलाव बढ़ता है और फेफड़े के अंतिम छोर तक भरपूर आक्सीजन पहुंच जाती है। नियमित रूप से अभ्यास करने वाले व्यक्ति का आक्सीजन स्तर जल्दी कम नहीं होता और कोरोना का संक्रमण होने पर फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं होता व अस्पताल में भर्ती करने की संभावना कम होती है।

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