उरई/जालौन। कैंसर बीमारी के प्रति समुदाय में जागरूकता लाने के लिए हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2019 से 2021 तक तीन साल के लिए विश्व कैंसर दिवस के लिए थीम मैं हूँ और रहूँगा रखी गई है। इसका तात्पर्य है कि कैंसर पीड़ित व्यक्ति अपनी इच्छा शक्ति से इस बीमारी से जीत सकता है। यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल द्वारा चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाये जाने की घोषणा की गई है। यह घोषणा चार फवरी 2000 को पेरिस में कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में पेरिस चार्टर द्वारा की गई थी। कैंसर अब लोगों के लिए नया नहीं है। लगभग हर किसी ने इसका नाम सुना है और इस बीमारी से किसी न किसी करीबी को खोया है। सही समय पर पहचान करना ही कैंसर का इलाज है। इसका अभी तक कोई टीका या निश्चित इलाज इजाद नहीं हो पाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर एक मिनट में विश्व में 17 लोगों की मौत सिर्फ कैंसर के कारण होती है। साल 2018 में भारत में करीब 11.57 लाख कैंसर के केस आए थे और इनमें से करीब 7.84 लाख मौतें हुईं। जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ ए के त्रिपाठी का कहना है कि हमारा शरीर कोशिकाओं (सेल) से बना होता है। जब यह कोशिकाएं अनियंत्रित तौर पर बढ़ती हैं और पूरे शरीर में फैल जाती हैं और शरीर के बाकी अंगों को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार उन हिस्सों पर कोशिकाओं का ट्यूमर या गांठ बन जाता है। इस अवस्था को कैंसर कहते हैं। उन्होंने बताया कि जिला महिला अस्पताल स्थित संपूर्णा क्लीनिक में महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर, स्तन कैंसर, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की जांच की जाती है। इस क्लीनिक का उद्देश्य गैर संचारी रोगों के प्रति महिलाओं में जागरूकता लाना और सही समय पर कैंसर जेसे रोग की पहचान करना है। गैर संचारी रोग के अंकित ने बताया जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 तक संपूर्णा क्लीनिक में 1331 महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई है।