भागवत कथामृत पान से मिट जाते हैं त्रिविध ताप : अनूप महाराज

फर्रूखाबाद। जिला फर्रूखाबाद के सितमनपुर गांव में चल रही सप्तदिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में असलापुर धाम से पधारें परम पूज्य कथा व्यास अनूप ठाकुर जी महाराज ने शुकदेव जी के जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा पुराण कथा सुनने से मानव जीवन के त्रिविध ताप मिट जाते हैं। यह ऐसा पुराण है जिसे भगवान शुकदेव ने राजा परीक्षित को सात दिनों में रात दिन सुनाकर उन्हें अमर ज्ञान दिया था व्यास ने बताया कि भगवान शिव ने पहली बार माता पार्वती को अमर कथा का श्रवण कराया था। माता ने आग्रह किया था कि वे उन्हें भी ऐसा ज्ञान दें जिससे वे जन्म जन्मान्तर की घटनाओं को जान जाए उनके आग्रह पर भोले बाबा ने माता को कथा सुनाना प्रारंभ किया। माता को कथा श्रवण के समय नींद आ गयी तो पास के एक पेड़ के कोटर में बैठे एक तोते के बच्चे ने कथा को आगे बढ़ाने के लिए हूं-हूं का उच्चारण करना जारी रखा। नींद से जागृत होने पर माता ने भगवान शंकर से कथा पूरी करने का आग्रह किया तो शिव को विस्मय हुआ कि जब वह नींद में थी तो कथा की हुंकारी कौन भर रहा था। देखा तो पेड़ के कोटर में तोते का बच्चा केशव नाम का संकीर्तन कर रहा था। क्रोधित शिव त्रिशूल लेकर उसका वध करने के लिए दौड़े तो वह भागते-भागते व्यास मुनि की पत्नी पिंगला के उदर में प्रवेश कर गया। शंकर ने कहा कि उनका चोर यहीं छिपा है तो व्यास जी ने मर्म समझाते हुए कहा कि वे अवधूत श्रेष्ठ होते हुए भी कैसी भूल करने लगे। जब वह तोता उनके द्वारा सुनाई गई अमर कथा का रसपान कर लिया तो भला उसे कौन मार सकता है। अपनी भूल स्वीकार करते हुए शिव लौट आए। वही तोता 12 वर्ष बाद माता पिंगला के गर्भ से भगवान शुकदेव के रूप में जन्म लिया और तत्काल सन्यास आश्रम के लिए घर छोड़ कर जाने लगा व्यासजी के अनुनय विनय पर वापस आये तो व्यास भगवान ने उन्हें 18000 श्लोक सुनाकर अमर कथा में पारंगत बना दिया। वही कथा शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सप्ताह के सात दिनों में सुनाई तभी से इसे भागवत सप्ताह कथा भी कहा जाने लगा। उन्होंने बताया कि इस कथा का प्रभाव बहुत ही चमत्कारिक व त्रिकाल सत्य है। जब जन्म जन्मांतर का पुण्य उदय होता है तभी मनुष्य को ऐसी कथा सुनने का सुअवसर प्राप्त होता है। दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध तापों से मुक्ति मोह से विरक्ति मिलती है। इस मौके पर परिक्षित पंडित बुधपाल शर्मा, सुरेन्द्र सिंह भदौरिया, गोपाल भदौरिया, संजीत यादवआदि मौजूद रहें।