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उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में दलितों-पिछड़ों का त्रिस्तरीय आरक्षण न लागू करके ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्ग को धोखा दिया है : मनोज यादव

उत्तर प्रदेश की जनता द्वारा लगातार ख़ारिज किये जाने से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव विचलित होकर अवैज्ञानिक और अतार्किक निर्णय ले रहे है : मनोज यादव
पूरी दुनिया बाबा साहेब की जयंती समता दिवस के रूप में मना रही तब दलित दिवाली मना कर बाबा साहेब की विचारधारा को कुन्द और सीमित करना चाहते है : मनोज यादव
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में दलितों का ठेके में आरक्षण ख़त्म किया गया, बाबा साहेब के नाम पर बने कई पार्को और मेडिकल कालेज का नाम बदल कर अपना आंबेडकर की विचारधारा विरोधी चरित्र उजागर कर चुके है : मनोज यादव
सैफई परिवार वाहिनी के कमजोर पड़ जाने की परिणिति है बाबा साहेब वाहिनी की घोषणा : मनोज यादव

लखनऊउत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पिछड़ा वर्ग विभाग के चेयरमैन मनोज यादव ने सपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें दलित-पिछड़ा विरोधी मानसिकता का करार देते हुए कठघरे में खड़ा किया है। पिछड़ा वर्ग विभाग के चेयरमैन मनोज यादव ने कहा कि सूबे की समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव आज पूरी तरह से दलित-पिछडो हकमारी के मामले में पूरी तरह से एक्स्पोज हो चुके है, दलित-अति पिछड़ा समाज आज उनका साथ छोड़ चूका है। भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती “दलित दीवाली” के रूप में मनाने की घोषणा करना उसी हताशा का परिणाम है। अखिलेश यादव बाबा साहेब की विचारधारा को कुन्द और सीमित करना चाहते है।

कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग के पूर्वी ज़ोन के चेयरमैन मनोज यादव ने आज जारी बयान में कहा कि प्रदेश की जनता द्वारा लगातार ख़ारिज किये जाने से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव विचलित होकर अवैज्ञानिक और अतार्किक निर्णय ले रहे है। दलित दिवाली की घोषणा करना उसी हताशा का परिणाम है। उन्होंने आगे कहा कि जब पूरा देश बाबा साहेब की जयंती समता दिवस के रूप में मना रही है, देश के लोकतंत्र, बंधुत्व और सामाजिक न्याय को मजबूती से स्थापित करने और संविधान पर हो रहे हमले के खिलाफ जयंती कर संघर्ष करने की शपथ लेने का कार्यक्रम कर रही है। ऐसे में सपा सुप्रीमो द्वारा दलित दीवाली की घोषणा करना उनकी सियासी कमजोरी और भाजपा से अंदर खाने सांठ-गाँठ को दर्शाता है।

चेयरमैन मनोज यादव ने कहा कि अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी का चरित्र हमेशा से दलित विरोधी रहा है, प्रोंन्नती में आरक्षण का बिल फाड़ने वाली सपा आंबेडकर के नाम पर ढोंग और स्वांग कर रही है। अखिलेश यादव के 2012 में सत्ता पर आते ही दलित बस्तियों पर हमले तेज हो गए थे। उन्होंने कहा कि दलित दिवाली की बात करने का अधिकार उन्हें नहीं जो जीत की जश्न में दलितों की बस्तियां जलाते हैं। उन्होंने कहा कि दलितों के उत्पीड़न में सपा-बसपा और भाजपा दोनों एक समान रहे हैं। मनोज यादव ने आगे कहा कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में दलितों का ठेके में आरक्षण ख़त्म किया गया, मिड डे मील में दलित महिला रसोइया के होने के प्रावधानों को शिथिल किया, दलित और पिछड़े महापुरुषों के नाम पर बने पार्क व मेडिकल कॉलेजों का नाम बदल कर अपना अंबेडकर की विचारधारा विरोधी चरित्र उजागर कर चुकी है।

मनोज यादव के आगे कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में दलितों-पिछड़ो सहित वंचित वर्ग के छात्रों के लिए त्रिस्तरीय आरक्षण को न लागू करके ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्ग को धोखा देने का काम पहले ही कर चुके है। सामाजिक न्याय को और मजबूत करने और संसाधनों के लोकतान्त्रिक वितरण को सुनिच्चित करने में सपा की दलित पिछड़ो को लेकर राजनीति संघ और भाजपा से प्रेरित होती है। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि सैफई परिवार वाहिनी के कमजोर पड़ जाने की परिणिति है बाबा साहेब वाहिनी की घोषणा। बाबा साहेब वाहिनी बना कर वो बाबा साहेब के राजनैतिक दर्शनों को कुंद करना चाहते है।

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