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क्या आपको पता है कि हाथ जोड़कर ‘नमस्कार’ करने से हमारी सेहत को होते हैं कई हैरान करने वाले फायदे

सनातन और हिंदू धर्म में नमस्कार करना एक महत्वपूर्ण परम्परा मानी जाती है। यह अभिवादन का भारतीय तरीका है, ठीक वैसे ही जैसे लोग किसी से मिसने पर सलाम या शेकहैंड करना करते हैं। किसी बड़े या आदरणीय व्यक्ति से मिलने पर हम अपने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार या नमस्ते कहते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस तरह से नमस्कार ने इस बारे में सोचा है कि आखिर हम नमस्ते ही क्यों बोलते हैं और पीछे क्या कारण है ?

‘नमस्ते’ संस्कृत के दो शब्दों ‘नमस और ‘ते’ से मिलकर बना है। नमस का अर्थ होता है झुकना और ‘ते’ का मतलब होता है आपको। इसलिए नमस्ते का मतलब होता है सामने वाले के सम्मान में झुकना। आपने कभी नमस्ते करते समय अपने शरीर की संरचना पर ध्यान दिया है, जब भी आप नमस्ते करते हैं जो आप दोनों हाथों को ऐसे जोड़ते हैं जिसमें उँगलियों के सिरे एक दूसरे को स्पर्श करते रहते हैं। उसके बाद आप धीरे से हाथों को नीचे सीने के बीचो-बीच वाले हिस्से में ले जाते हैं जहाँ ‘अनहत चक्र’ स्थित होता है। यह चक्र प्यार और समर्पण से जुड़ा हुआ है जो आपके और परमात्मा के बीच में संबंध स्थापित करता है।

नमस्कार के पीछे हैं वैज्ञानिक कारण
हाथ जोड़कर नमस्कार करने के पीछे भी एक दिलचस्प वैज्ञानिक कारण है, जब भी दोनों हाथो को जोड़ते हैं तो उँगलियों के सिरों पर दवाब बढ़ता है। उंगलियों के ये सिरे आपके कान, आँख और मस्तिष्क के नसों के सिरे से जुड़े हुए रहते हैं और इनसे आपकी याद्दाश्त बेहतर होती है। जब आप हाथो को जोड़ते हैं तो ये प्रेशर पॉइंट्स एक्टिवेट हो जाते हैं जिससे आपको सामने वाले से मिलते समय उसकी सारी जानकारी याद हो जाती है। इसके अलावा जब आप अपने हाथो को अनहत चक्र के पास लेकर जाते हैं तो यह एक्टिव हो जाता है जिससे आपके शरीर से निकली हुई पॉजिटिव एनर्जी सामने वाले को मिलने लगती है। कई योग मुद्राओं जैसे कि वृक्षासन और वीरभद्रासन में भी योग के दौरान नमस्ते किया जाता है।

बैक्टीरिया स्पर्श के ज़रिए एक शरीर से दूसरे शरीर तक फैलते हैं जो कि हाई-फाई और शेक हैंड जैसे अभिवादनों से संभव हैं। लेकिन नमस्ते करने से इंफेक्शन, गंदगी और बैक्टेरिया फैलने का खतरा कम होता है।

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