पुलिस ने बलवा की घटना को कमतर करके केवल मारपीट की घटना दिखाई
खूनी संघर्ष मामले में अपनी खाल बचाने के लिए एक पक्ष के खिलाफ एफआईआर

कोंच (पीडी रिछारिया) कस्बे के मोहल्ला गोखले नगर में रविवार को दो पक्षों में हुए खूनी संघर्ष में दोनों पक्षों के करीब आधा दर्जन लोगों का घायल होना बताता है कि वहां बलवा हुआ था लेकिन पुलिस ने घटना को कमतर दिखाते हुए केवल मारपीट की धाराओं में एक पक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की इतिश्री कर ली है। इस मामले में साफ है कि पुलिस ने अपनी खाल बचाई है क्योंकि मुकदमे के वादी ने संपूर्ण समाधान दिवस में जो प्रार्थना पत्र दिया था उसे पुलिस ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया था। अगर पुलिस ने उस प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लिया होता तो रविवार की घटना को टाला जा सकता था।
गौरतलब है कि मकान निर्माण को लेकर रविवार को मोहल्ला गोखले नगर में दो पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया था जिसमें महिलाओं व पुरुषों समेत कुल सात लोग घायल हो गए थे जिनमें तीन को हालत गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर किया गया था। ये पूरा विवाद नगर पालिका की जगह पर निर्माण कार्य करने को लेकर होने की बात सामने आई है। दरअसल, बजरिया वाट स्कूल के समीप दो पक्षों राजेंद्र विश्वकर्मा और हरीमोहन कुशवाहा के बीच जमकर लाठी डंडे और लोहे की रॉड चले जिसमें राजेंद्र पक्ष के मोहित, रोहित, माधुरी और शांति जबकि हरीमोहन पक्ष के हरीमोहन, लला, बबलू गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
पुलिस ने इस प्रकरण में राजेंद्र कुमार विश्वकर्मा की तहरीर पर चार लोगों हरिओम कुशवाहा, लला कुशवाहा, बब्बू कुशवाहा व देवी शरण के खिलाफ केवल मारपीट और जान से मारने की धमकी की धाराओं में मामला दर्ज किया है जबकि ये मामला साफतौर पर बलवा की श्रेणी में आता है। यहां यह बताना भी समीचीन है कि मकान निर्माण को लेकर दोनों पक्षों में पिछले काफी समय से विवाद चला आ है और राजेंद्र ने 3 नवंबर को इस आशय का एक शिकायती पत्र कोतवाली पुलिस को भी दिया था लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की लिहाजा रविवार को विवाद इतना बड़ा बन गया कि दोनों तरफ की मूड़ फुटौव्वल हो गई। यानी साफतौर पर पुलिस ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए डैमेज कंट्रोल किया है। इस मामले में सुरही चौकी की ढीलपोल खुलकर सामने आ रही है।