अस्तित्वहीन प्रबंध कमेटी को निलंबित करने का अधिकार नहीं : प्राचार्य
एमपीडीसी के प्राचार्य ने सोशल मीडिया पर चल रही निलंबन की खबरों को बताया हास्यास्पद

कोंच/जालौन। इस समय सोशल मीडिया पर मथुरा प्रसाद महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ० नरेश कुमार का निलंबन काफी सुर्खियां बटोर रहा है। प्राचार्य से जब इसकी हकीकत जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस पूरे मामले को काफी रोचक बताते हुए कहा कि जिस तथाकथित प्रबंध समिति ने उन्हें निलंबित किया है (जैसा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर देखा है) दरअसल उस कमेटी का कार्यकाल 2020 में ही समाप्त हो चुका है। इस तरह के निलंबन का कोई अर्थ ही नहीं है। अपने घर में बैठकर कोई कुछ भी कर सकता है, उसका कोई मतलब तब तक नहीं है जब तक कि वह वैध न हो।
नगर के प्रतिष्ठित और एकमात्र सहायता प्राप्त उच्च शिक्षण संस्थान मथुरा प्रसाद महाविद्यालय में छिड़ी वर्चस्व की जंग में उस समय एक नया मोड़ आ गया जब महाविद्यालय की अस्तित्व हीन प्रबंध समिति ने प्राचार्य प्रोफेसर डॉ0 नरेश कुमार पर अनुशासनहीनता, वित्तीय अनियमितता जैसे तमाम आरोप आयद करते हुए तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। प्राचार्य ने इस कार्रवाई को हास्यास्पद करार देते हुए कहा जिस कमेटी की बात हो रही है दरअसल ऐसी कोई कमेटी अस्तित्व में ही नहीं है क्योंकि इसका कार्यकाल 2020 में ही खत्म हो चुका है। इस तथाकथित कमेटी को उन्हें निलंबित करने का कोई अधिकार ही नहीं है। यदि ऐसा कोई निलंबन हुआ भी होगा तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। प्राचार्य का कहना है कि निलंबन की कार्रवाई को चौदह दिन के अंदर विश्वविद्यालय के कुलपति से अनुमोदित कराना होता है, अगर इस अवधि में अनुमोदन नहीं हो पाता है तो निलंबन स्वतः की समाप्त माना जाएगा। उन्होंने वित्तीय अनियमितताओं के अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार और उनकी छवि धूमिल करने का इरादा बताते हुए कहा कि जब महाविद्यालय के सारे खाते सीज हैं, तो फिर वित्तीय अनियमितता कहां से हो जाएगी।