अंधेरा आवाजों से नहीं भागता, उसे सूरज बनकर निगलना पड़ता है
साहित्यकार कवि पंकज की स्मृति में संपन्न हुआ कवि सम्मेलन

कोंच (पीडी रिछारिया) अंतरराज्यीय मंचों के अभिनंदित कवि साहित्यकार और सुप्रसिद्ध नाटककार स्व. रामरूप स्वर्णकार ‘पंकज’ की स्मृति में यहां कवि सम्मेलन के माध्यम से उन्हें काव्यांजलि दी गई। स्थानीय तथा बाहर से आए तमाम नामचीन कवियों व साहित्यकारों ने अपनी अनूदित रचनाओं के माध्यम से जहां दिवंगत पंकज को श्रद्धा प्रसून समर्पित किए वहीं हम सामयिक रचनाओं में व्यवस्था को लेकर गजब के तंज कसे गए।
‘पंकज हिंदी व बुंदेली संवर्धन संस्थान’ के तत्वाधान में यहां नगरपालिका के सामने पुराने अस्पताल में स्थित आनंदेश्वर शिव मंदिर में लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति के अध्यक्ष ब्रजेंद्र मयंक की अध्यक्षता, भाजपा नेता अवध शर्मा बब्बा के मुख्य आतिथ्य तथा रामलीला विशेषज्ञ रमेश तिवारी व प्रधान हनुमंत सिंह कुशवाहा के विशिष्ट आतिथ्य में संजोए गए कवि सम्मेलन की शुरुआत अतिथियों द्वारा भगवान शंकर के पूजन अर्चन से हुई। समथर से आईं कवियित्री पद्मा खरे ने मां वागीश्वरी शारदा का आह्वान किया। कवियित्री मधु गुप्ता ने अपनी रचना बांची, चिल्लाने से नहीं आता बदलाव बाहर को बदलने से पहले भीतर को बदलना पड़ता है, अंधेरा आवाजों से नहीं भागता, उसे सूरज बनकर निगलना पड़ता है। साहित्यकार नरेंद्र मोहन मित्र ने रचना पाठ किया, प्यार के उद्गार भरकर के बढ़ो आपको मनमीत भी मिल जाएंगे, दिव्यता के भाव तो जागृत करो जागरण के गीत खुद लिख जाएंगे। शायर ‘हसरत’ ने गजल पढ़ी, हम समझे उनके घर कोई मेहमान आए हैं, उसने तो मेरे कत्ल को कातिल बुलाए हैं। दिनेश मानव ने कविता पाठ किया, हुई मुकम्मल अब तक नहीं कहानी क्यों, हर एक वशर की चढ़ी हुई पेशानी क्यों। रिंकू पांचाल खूजा ने व्यंग्य पढ़ा, वाह रे वाह मानव तू किस अहंकार में भूला है, औरत बिके तो तवायफ और मर्द बिके तो दूल्हा है। डॉ. हरिमोहन गुप्त, बलराम सोनी, सुनील कांत तिवारी, सत्येंद्र जैन, अरविंद पटसारिया, ऋतु चतुर्वेदी, आलोक सोनी, पारसमणि अग्रवाल, अरुण कुमार वाजपेयी, राजेंद्र सिंह गहलोत, राजेश गोस्वामी, अमरसिंह यादव, मुन्ना यादव विजय, संतोष तिवारी सरल, ओंकार नाथ पाठक, प्रमोद कस्तवार, मोहनदास नगाइच, रामेंद्र कुमार सोनी मोंठ, प्रेम चौधरी नदीम, पद्मा खरे समथर, उमर अश्क झांस्वी आदि ने भी रचनाएं पढ़ीं। संचालन भास्कर सिंह माणिक्य ने किया, आभार कार्यक्रम संयोजक मंजुल मयंक स्वर्णकार ने जताया। इस दौरान चंद्रशेखर नगाइच, आशाराम मिश्रा, रामकृष्ण वर्मा, अनिल वैद, श्रीराम लाक्षकार आदि मौजूद रहे।