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हाईकोर्ट का आरक्षण पर संज्ञान लेने से चुनाव से बाहर हुए लोगों की जागी उम्मीद

कोंच (पीडी रिछारिया) निकाय चुनाव को लेकर जारी हुए आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट के संज्ञान लेने और निर्वाचन आयोग को फिलहाल अधिसूचना जारी नहीं करने के आदेश पर यहां निकाय क्षेत्र की राजनीति में हलचल पैदा हो गई है। कोर्ट इस आरक्षण को लेकर क्या फैसला सुनाता है या राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग को क्या निर्देश देता है यह अलग विषय है लेकिन चुनाव लड़ने के इच्छुक उन लोगों जो मौजूदा आरक्षण की वजह से अपने पांव वापस खींच चुके थे, में उम्मीद की किरण फिर से दौड़ पड़ी है।
कोंच पालिकाध्यक्ष सीट पिछड़ा वर्ग महिला के लिए घोषित होने के बाद अनारक्षित वर्ग के चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों को अपने पैर वापस खींचने पड़े थे लेकिन सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जैसे ही निर्वाचन आयोग को अधिसूचना जारी नहीं करने के लिए आदेशित किया, उन लोगों के चेहरों पर रौनक एक बार फिर लौट आई है। दरअसल, इक्का दुक्का निकाय छोड़कर मौजूदा आरक्षण में समूचे बुंदेलखंड को ही आरक्षित कर दिया गया है जिससे अनारक्षित वर्ग में जबर्दस्त गुस्सा है। इस स्थिति को उनके अधिकारों का हनन बताते हुए तमाम आपत्तियां भी दर्ज कराई गई हैं। एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर मंगलवार को इस पर सुनवाई का दिन निर्धारित किया है और तब तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं करने के लिए निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए गए हैं। यह स्थिति उन लोगों को काफी सुकून दे रही है जो माफिक आरक्षण नहीं होने के कारण चुनावी रिंग से बाहर चले गए थे। उन्हें लग रहा है कि अब शायद आरक्षण में बदलाव होगा और हो सकता है कि अगला आरक्षण उन्हें चुनाव लड़ने का मौका देने वाला हो। फिलहाल, निकाय चुनाव की रंगत अभी तो बदली सी नजर आ रही है जब तक कि दोबारा से आरक्षण घोषित नहीं हो जाता है।

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