नगर पालिका चुनाव ! विरासत की जंग को लेकर कई किरदार होंगे चुनावी रिंग में
अनारक्षित की स्थिति में देखने लायक होगा कोंच निकाय चुनाव

कोंच (पीडी रिछारिया)। सन्निकट निकाय चुनाव को लेकर लड़ने के इच्छुक लोगों में अभी फिलहाल यह जताने के लिए कि ‘वह’ भी मैदान में हैं, प्रचार की होड़ लगी है, लेकिन चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इस चुनाव को विरासत की जंग के तौर पर भी देखा जा रहा है जिसमें कौन किस पर कितना भारी होगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी होंगी। चुनावी रिंग में भी विरासत को लेकर लड़ने वाले किरदार ही मुख्य रूप से नजर आएंगे बशर्ते कोंच पालिकाध्यक्ष पद अनारक्षित रहता है तो। इस रिंग में बड़े बड़े दिग्गजों का होना चुनाव को दिलचस्प बनाने के लिए काफी होगा।
अभी तक पालिकाध्यक्ष पद पर आरक्षण की स्थिति साफ नहीं हो पाने के कारण चुनावी जंग में वो लुआब नहीं बन पा रहा है जो होना चाहिए। ज्यादातर संभावित प्रत्याशी अपने पत्ते नहीं खोल पा रहे हैं लेकिन कुछ चेहरे ऐसे हैं जिन्होंने फिलहाल यह जता दिया है कि अगर आरक्षण उनके मनमाफिक रहा तो वह हर हाल में चुनावी रिंग में नजर आएंगे। इसमें विरासत को लेकर होने वाली जंग काफी दिलचस्प होगी। अगर पालिकाध्यक्ष पद अनारक्षित रहता है तो पूर्व पालिकाध्यक्ष स्व. अशोक शुक्ला की पत्नी सुषमा शुक्ला अपने दिवंगत पति की विरासत को संभालने के लिए मैदान में होंगी, इस तरह के संकेत उनके खेमे में से निकल कर आए हैं। अनारक्षित सीट की स्थिति में पूर्व पालिकाध्यक्ष विनीता सीरौठिया के पति पूर्व बारसंघ अध्यक्ष विज्ञान विशारद सीरौठिया अपनी पत्नी की विरासत को आगे ले जाने का पूरा मन बनाए बैठे हैं। इनके पास तो ओबीसी का विकल्प भी खुला है, अगर ओबीसी का आरक्षण घोषित होता है तो विनीता एक बार फिर मैदान में होंगी और 2012 का इतिहास दोहराने की कोशिश करेंगी। एक तीसरा चेहरा और है जो अपनी विरासत बचाने को मैदान में होगा, मौजूदा पालिकाध्यक्ष डॉ. सरिता वर्मा अनारक्षित और एससी आरक्षण पर चुनावी जंग का हिस्सा होंगी। इन तीनों खेमों में अपनी अपनी विरासत को सहेजने को लेकर भयानक जंग होने के पूरे आसार हैं। अब कौन किस पर कितना भारी पड़ेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इनकी चुनावी रिंग में मौजूदगी ही चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बनाने के लिए काफी है।