आजादी की लड़ाई में चर्चित रहा था कोंच का नमक आंदोलन

कोंच (जालौन) वर्षों की गुलामी से आज़ाद होकर आजादी की खुली हवा में सांस लेने के लिए हजारों क्रांतिकारी अपना घर छोड़कर आजादी की लड़ाई में कूंदे हुए थे वहीं कोंच जैसे छोटे से नगर में भी आजादी पाने की ललक उस समय लोगों में साफ तौर पर देखी जा रही थी। देश को पूर्ण आज़ादी मिलने से ठीक 17 वर्ष पहले सन 1930 में एक ही परिवार की तीन पीढियां एक साथ स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में कूंद पड़ी थीं जिसकी गूंज उस समय की ब्रिटिश हुकूमत तक पहुंच गई थी और ब्रिटिश हुक्मरानों में बेचैनी साफ तौर पर देखी जाने लगी थी।
स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई पर नजर रखने वाले नगर के कुछ बूढ़े बुजुर्गों ने बताया कि नगर के मुहल्ला सुभाष नगर में चंदकुआँ पर रहने वाले रामदीन पहारिया ने अपने बेटे पन्नालाल और नाती जयदेव के साथ मिलकर उस समय सन 1930 में नमक आंदोलन चलाया था। उक्त आंदोलन के तहत रामदीन ने स्थानीय लोगों से अंग्रेजों का बनाया हुआ नमक न खाने की अलख जगाई थी और जगह जगह छोटी-छोटी सभाएं कर आम जनमानस को इस नमक आंदोलन से जोड़ा था। वहीं अंग्रेजों का बना हुआ नमक न खाने और खुद से बनाकर नमक खाने की गूंज पहुंचते ही ब्रिटिश हुक्मरानों ने उक्त पिता पुत्र व नाती को गिरफ्तार करने की योजना बनाई। नमक आंदोलन की अलख जगाने के लिए कोंच नगर में ऐतिहासिक रामलला मंदिर के बिल्कुल समीप सभा करने के दौरान ब्रिटिश पुलिस ने रामदीन, पन्नालाल व जयदेव को एक साथ एक ही मंच से गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था और फिर उक्त तीनों देशभक्त आंदोलनकारी लम्बे समय तक जेल के सीखचों में रहे, बाद में तीनों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा प्राप्त हुआ।
कोंच नगर से सबसे अधिक रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी –
स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान देने वाले सूरमाओं की हालांकि कमी नहीं है। कोंच नगर की धरती भी इन सूरमाओं के शौर्य, यश की गाथा से अभिसिंचित है। समूचे जनपद में सर्वाधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोंच नगर से अपना नाता रखते हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में कोंच नगर के बालमुकुंद शास्त्री, बाबूराम छावला, बाबूराम वाजपेयी, बेनीप्रसाद चौपड़ा, ब्रहमानंद पहारिया, वंशीधर अग्रवाल, भगवान दास अग्रवाल, चित्तर सिंह निरंजन, डबलीराम मिश्रा, ग्याप्रसाद गुप्त रसाल, गौरीशंकर शुक्ल, गंगाप्रसाद हिंगवासिया, गणेश प्रसाद चौबे, जयदेव पहारिया, कालीचरण बसेडिया, कढोरेलाल राठौर, लल्लूराम द्विवेदी, लल्लूराम मिश्रा, मदनलाल शांडिल्य, मुन्नालाल शुक्ल, मुरारी लाल शर्मा, मनीराम सेठ, नारायण प्रसाद चतुर्वेदी, पन्नालाल पहारिया, प्रभुदयाल द्विवेदी दयालु, प्रह्लाद गुप्त, रघुनंदन अरूसिया, रघुनंदन लाल गुबरेले, रघुनाथ दास महंत, रामनारायण अग्रवाल, रामनारायण कुर्मी, रामनारायण ताम्रकार, रामगोपाल रावत, राजेश्वरी श्रीवास्तव, शंकरलाल तिवारी, शम्भूदयाल शशांक, सत्यनारायण शुक्ला, सियाराम उपाध्याय, सीताराम अग्रवाल, स्वरूपलाल गुप्ता, थान सिंह वर्मा शामिल हैं जिनके नाम का बाकायदा शिलापट भी संरक्षित है। यह शिला पट महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरव गाथा को प्रदर्शित करता है।