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जिंदगी से बड़ा हुआ नशा ! नशे के दलदल में फंसता जा रहा है आज का युवा

उरई (जालौन) एक तरफ जहां अनेक समाजसेवियों द्वारा नशा मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है तो वहीं पर दूसरी ओर नशा की जड़ नाश से परिवार बिखर रहे है। तमाम अभियान व जागरूक करने के बाद भी युवक नशा करने से वाज नही आ रहे है। अभी तक नशीले पदार्थों का सेवन कर अधिकांश उम्रदराज लोग ही झूमते दिखाई देते थे लेकिन अब नाबालिग तथा युवा भी नशे में सुकून के पल तलाश रहे है। कुछ देर की मस्ती युवाओं को नशे के दलदल में फंसाती जा रही है।
ज्ञातव्य हो कि जिस तरह से वैध व अवैध नशीले पदार्थों का चलन बढ़ रहा है वैसे ही हर वर्ग में नशेडियो की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर कस्बे से लेकर ग्रामीण अंचलों तक युवाओं की बडी फौज नशे के दलदल में फंसती दिखाई दे रही है। देशी, अंग्रेजी शराब, बीयर, भाँग जैसे नशीले पदार्थ सरकारी ठेको पर आसानी से मिल जाते है लेकिन गांजा, चरस भांग, कच्ची शराब जैसे प्रतिबंध नशीले पदार्थो का चोरी छिपे शहर व गाँव मे बड़ा कारोबार चल रहा है। इन नशीले पदार्थो का अधिकतर गरीब व मजदूर वर्ग के लोग करते है और ये प्रतिबंध नशीले पदार्थ इन्हे आसानी से प्राप्त हो जाते है। आर्थिक रूप से सक्षम युवा बीयर और अंग्रेजी शराब के मानो दीवाने से हो रहे है। बीयर की दुकान पर अगर देखा जाए तो अधिकतर युवाओं की संख्या नजर आयेगी। अधिकांश युवा नशीले पदार्थो का सेवन कर जिन्दगी बर्बाद करने पर उतारू है। इतना ही नहीं अगर देखा जाये तो नशे की लत के चलते युवा यहीं तक सीमित नहीं है। अधिकांश युवा खांसी के सिरप, नींद की गोलियां तथा नशीले इंजेक्शन से भी अपना नशा पूरा करते है। ऐसी स्थिति में आने वाले समय में युवाओं की हालत क्या होगी यह अंदाजा स्वयं लगाया जा सकता है। अगर देखा जाए तो अधिकांश युवा शादी जैसे स्थानो पर नशा करके जाते है। यह नशा युवाओं के लिए फैशन बनता जा रहा है। भांग, गांजा, शराब के अलावा युवाओं द्वारा शादी समारोह में गुटखा, सिगरेट का भी जमकर प्रयोग किया जाता है। हालत यह है कि आज का अधिकांश युवा अगर देखा जाये तो नशे के दलदल में धंसता हुआ दिखाई दे रहा है।

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