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शुक्रवार कों मनाया जायेगा मकर संक्राति का पर्व

उरई (न्यूज़ एजेंसी) श्रृष्टि के प्रथम आराध्य देव भगवान भाष्कर अर्थात सूर्य देव का जब मकर राशि में प्रवेश होता है। तो वह विशेष शुभ अवसर कों मकर संक्राति के पर्व के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में मकर संक्रान्ति कों ग्रहों की चाल से जोड़ कर भी देखा जाता है। ज्योतिषाचार्य पण्डित व्रजेन्द्र कुमार त्रिपाठी के अनुसार मकर संक्राति वैसे भी सभी जातकों के लिए लाभ दायी होगी। मगर कुछ विशेष जातकों को इसका विशेष लाभ मिलेगा।

अंग्रेजी कलैण्डर की साल के पहलें पर्व के रूप में भारतीय संस्कृति में मकर संक्राति का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि मकर संक्राति के पर्व सें ही ग्रहों की चाल बदलनी इसका सीधा असर मानव जाति पर पड़ता है। ग्रहों की चाल सभी जातकेा पर शुभ व अशुभ प्रभाव देती है जिससें उनकी जीविका में काफी असर पडता है। इसलिए इस पर्व का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। पर्व कों लेकर अभी सें घरों में तैयारिया का दौर शुरू हो चुका है घरों में तरह तरह के पकवान तैयार होने लगे है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित ब्रजेन्द्र त्रिपाठी के अनुसार मकर संक्राति के दिन सूर्याेंदय से लेकर रात्रि 8 बजकर 18 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। रोहिणी नक्षत्र को काफी शुभ माना जाता है इस दौरान स्नान व दान पुण्य करना शुभ होता है इसी दिन पर भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे है। इस मंगल वेला कों मकर संक्राति के पर्व के रूप में मनाया जायेगा। सूर्य कों सृष्टि का देवता माना जाता है। सूर्य ही एक ऐसे देव है जो सम्पूर्ण सृष्टि कों प्रभावित करते है। जब सूर्य अपनी राशि बदलते है। तो इसका असर सम्पूर्ण सृष्टि पर पड़ता है। सभी ग्रहों के स्थान भी परिवर्तित होते है। इस मंगलकारी वेला में जो मनुष्य स्नान उपरान्त भगवान सूय्र अर्घ देकर दान पुण्य करता है। शास्त्रों के अनुसार जातक कों अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य प्राप्त हेाता है।

क्या है स्नान और पूजा का महत्व –
भारतीय संस्कृति में मकर संक्राति के पर्व कों विशेष स्थान दिया गया है। मानना है कि इस दिन लोग गंगा, यमुना या अन्य किसी नदी में विशेष योग में स्नान करनें सें मनुष्य कों कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। यही वजह हैें कि मकर संक्राति कों स्नान के लिए विशेष महत्व दिया गया है। मकर संक्राति के दिन सूर्याेदय से लेकर रात्रि तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। जो विशेष शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं इस दिन आन्नदादि और ब्रह्मम योग बनने जा रहा है। जिसका काफी महत्व होता है। शुभ योग में शुरू किये गये कार्याें में किसी तरह की कोई बांधा नहीं आती है। जातकों को शुभ महूर्त में ही स्नान कर पूजा, अर्चना करनी चाहिए जिसका जिसका लोगों विशेष फल प्राप्त होता है।

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