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परमात्मा में दृढ़ विश्वास और श्रद्घा से ही अंत:करण शुद्घ होता है : पं. दीपक त्रिपाठी

कोंच/जालौन। यहां नईबस्ती में शिव मंदिर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास पं. दीपक त्रिपाठी ने सत्संग का महात्म्य बताते हुए कहा, सत्संग के बिना हरिकथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सकता है क्योंकि भगवान में दृढ प्रेम सत्संग से ही उपजता है, विश्वास होने पर श्रद्घा उत्पन्न होती है तथा विश्वास और श्रद्घा से अंत:करण शुद्घ होता है। संगीतमयी इस कथा के बीच कथा व्यास द्वारा गाए गए भजनों पर श्रोता समुदाय झूम उठा।

अवकाश प्राप्त शिक्षक रामप्रकाश गौतम द्वारा संयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत सभी मतभेदों का शमन कर समन्वय पैदा करने वाला महान ग्रंथ है, भागवत कथा श्रवण मात्र से ही पापों का समूल नाश हो जाता है और उसे सद्गति की प्राप्ति होती है। धुंधकारी को तो प्रेतयोनि से मुक्ति भागवत कथा सुनने से ही मिल गई थी। उन्होंने कहा कि भगवान व्यासजी को भी इसी ग्रंथ की रचना करने के बाद शांति प्राप्त हो सकी थी। उन्होंने कहा, जो व्यक्ति जिस रूप में भगवान का स्मरण करता है उसे उसी रूप में भगवान का सामीप्य प्राप्त होता है। उन्होंने भक्त ध्रुव, कपिल, दत्तात्रेय आदि के प्राकट्य सहित शिवप्रिया सती की भी कथा सुनाई। अंत में कथा परीक्षित रजनी देवी रामप्रकाश गौतम ने भागवत जी की आरती उतारी एवं प्रसाद वितरित किया गया।

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