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बाढ़ को लेकर प्रशासन सतर्क, ग्रामीण रहें सतर्क

कालपी/जालौन। यमुना भले ही खतरे के निशान से 10 मीटर नीचे बह रही हो, पर दिल्ली में आई बाढ़ से स्थानीय प्रशासन अलर्ट हो गया है। शुक्रवार को तहसीलदार ने यमुना पट्टी के व बाढ़ प्रभावित गांवो के बाशिन्दों से सतर्कता बरतने के लिए कहा है।

वैसे तो इस क्षेत्र के लिए बाढ़ कोई नई नही है बल्कि प्रभावित गावों के निवासियो के लिए तो यह दिनचर्या में शामिल हैं जो उन्हें विरासत में मिली है हालाकि बाढ़ में और उसके बाद उन्हें काफी परेशानी का सामना भी करना पडता है जिसके चलते तलहटी क्षेत्र में रहने वाले प्रभावित गांव के बाशिन्दों ने ऊँचाई वाले इलाके में घर बना लिए है जिससे कई मजरे बजूद में आ चुके हैं। ग्रामीणो की माने तो पहले बाढ दशको के बाद आती थी लेकिन विगत तीन वर्ष लगातार आ रही है जिससे यमुना और वेतवा के डूब क्षेत्र में रहने वाले आजिज आ चुके हैं महेवा ब्लाक क्षेत्र के सर्वाधिक बाढ प्रभावित गाँवो मे शुमार गुढा खास के पूर्व प्रधान सोनेलाल के अनुसार लगातार तीन वर्ष से बाढ आने से गांव दुर्दशा का शिकार हो गया है लोगो को व्यवस्थाएं जुटाने का भी मौका नही मिल रहा है।

हालांकि अभी यमुना का जलस्तर 98 मीटर है जो खतरे के निशान से 10 मीटर नीचे है लेकिन दिल्ली में यमुना की बाढ़ से मचे कोहराम से प्रभावित क्षेत्र की जनता के साथ प्रशासन भी सशंकित है। तहसीलदार शेर सिंह के मुताबिक अभी यमुना का जलस्तर चिन्ता जनक नहीं है और न ही फिलहाल आसार है क्योंकि केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार यमुना का जलस्तर दो मीटर से अधिक नहीं बढ़ेगा फिर भी पिछले आंकड़ों के अनुसार बाढ़ से दो दर्जन गांव ज्यादा प्रभावित होते हैं जिसके चलते प्रभावित क्षेत्र के लोगों की मदद का खाका तैयार कर लिया गया है जिसमें बाढ़ चौकियों को सक्रिय करने के साथ नदी की तलहटी क्षेत्र में रहने वालो को भी सतर्कता बरतने के लिए कहा है।

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