परमात्मा में आसक्ति मनुष्य को सांसारिक मोह माया से मुक्त करने वाली है : सतीश कौशिक
सप्तम दिवस विश्राम वेला में सुदामा चरित्र की कथा सुनाई

कोंच (पीडी रिछारिया)। बजरिया स्थित चौबे पार्क में चल रही श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में रविवार को सप्तम दिवस की विश्राम वेला में कथा व्यास सतीश कौशिक जी महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि परमात्मा बिना मांगे ही भक्तों को सब कुछ प्रदान कर देता है। जिस प्रकार भगवान द्वारिकाधीश ने अपने परम भक्त और बालसखा सुदामा को बिना मांगे ही दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया था। उन्होंने कहा, परमात्मा में आसक्ति मनुष्य को सांसारिक मोह माया से मुक्त करने वाली है और जीव भवबंधन से पार पा जाता है।
कथा प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास ने कहा कि सुदामा भगवान द्वारिकाधीश के परम भक्त और बालसखा हैं। साधनहीन होते हुए भी वह भगवान में पूरी तरह आसक्त हैं और भगवान का गुणगान करते हुए भिक्षा में जो कुछ भी मिल जाता उसी में संतुष्ट रहते हुए वह अपनी गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे हैं। कभी कभी तो भिक्षा में जब कुछ भी नहीं मिलता तो पूरे परिवार को भूखा ही सोना पड़ता है। एक बार जिद करके उनकी पत्नी ने उन्हें द्वारिकाधीश के पास जाने के लिए विवश कर दिया तो वह अनमने मन से तैयार हो गए। मित्र के घर खाली हाथ न जाना पड़े सो उनकी पत्नी ने पड़ोसियों से मांग कर लाए गए तंदुल एक पोटली में बांध कर सुदामा को दे दिए। हरिनाम स्मरण करते हुए कई दिनों की थका देने वाली यात्रा पर निकले सुदामा को राह में भगवान द्वारिकाधीश वेश बदलकर मिलते हैं और उन्हें द्वारिकापुरी पहुंचाने में मदद करते हैं। वहां पहुंचने पर द्वारिकाधीश ने उनका भव्य स्वागत किया। भावविह्वल द्वारिकाधीश अपने मित्र को सामने पाकर अपने अश्रु नहीं रोक सके और आंसुओं से ही उनका पद प्रक्षालन किया। द्वारिकाधीश ने सुदामा की कांख में दबी पोटली लेकर दो मुट्ठी तंदुल अपने मुख में डाल कर उन्हें दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया। अंत में कथा परीक्षित ब्रजकिशोर पिपरैया व उनकी पत्नी कृष्णा देवी ने भागवत जी की आरती उतारी, प्रसाद वितरित किया गया।