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भक्तों के कल्याण के लिए अवतार धारण करते हैं भगवान : शिवशंकरानंद

कोंच (पीडी रिछारिया) ब्लॉक परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथा व्यास स्वामी शिवशंकरानंद सरस्वती ने कहा कि भक्त और भगवान के बीच अटूट संबंध होता है। भक्तों के कल्याण के लिए भगवान को अवतार धारण करना पड़ता है। पूर्व बारसंघ अध्यक्ष विज्ञान विशारद सीरौठिया ने कथा मंडप में पहुंच कर व्यास पीठ को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया।
व्यास पीठ से कथा प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए कथा प्रवक्ता भगवान के विभिन्न अवतारों की कथाएं सुनाईं। उन्होंने वामन अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि देवताओं की माता अदिति ने जब देखा कि उनके पुत्रों का सब कुछ दैत्यों के राजा बलि ने छीन लिया है तो उन्होंने परमपिता श्रीहरि का स्मरण किया और भगवान ने वामन अवतार धारण कर लिया। दैत्यराज बलि यज्ञ कर रहा था तो वामन भगवान उसके यहां पहुंच जाते हैं। बलि बहुत बड़ा दानवीर था, उसने वामन से कुछ मांगने के लिए कहा तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य वामन के रूप में आए भगवान विष्णु को पहचान गए थे, सो उन्होंने बलि को ऐसा करने से रोकने की चेष्टा की लेकिन बलि ने उनकी बात नहीं मानी और जब वह संकल्प कर रहा था तो शुक्राचार्य कमंडल की टोंटी में जाकर बैठ गए ताकि जल प्रवाह रुक जाए। भगवान वामन ने तिनका टोंटी में डाला तो शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई और वह कमंडल से बाहर आ गए। वामन भगवान ने बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी, लेकिन जब दो पग में ही वामन ने पूरा ब्रह्मांड नाप लिया और तीसरे पग के लिए बलि से पूछा तो बलि ने उस तीसरे पग को अपने मस्तक पर धारण कर लिया। कथा व्यास ने राम और कृष्ण प्राकट्य की भी कथाएं सुनाईं। जैसे ही ब्रज में कृष्ण का प्राकट्य हुआ, उत्सव मनाया जाने लगा। बैंड बाजों के साथ गोले दाग कर खुशियां मनाई गई। कथा प्रवाह के बीच संगीतमय भजनों पर श्रोता खूब झूमे।

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