– पिछले दो दिन से गल्ला मंडी बंद होनेे से उपज बेचनेे को भटक रहे हैं किसान कोंच/जालौन। कोविड-19 वायरस के चलते लॉक डाउन में बंद रहने के बाद स्थानीय गल्ला मंडी में कुछ शर्तों के साथ काम काज जैसेे तैसेे शुरू पाया था कि पल्लेदारों और व्यापारियों के बीच मजदूरी की दरों को लेकर ठन गई औैर एक बार फिर गल्ला मंडी में व्यापार कार्य बंद कर दिया गया जिससेे किसान अपनी उपज बेचनेे के लिए भटक रहा है। हालांकि मिली जानकारी में बताया गया हैै कि व्यापारियों व पल्लेदारों मेें समझौता हो गया हैै औैर गुरुवार से कामकाज पटरी पर लौैट सकता हैै। इसका समझौता पत्र भी मंडी सचिव को दे दिया गया हैै। समझौैतेे के मुताबिक तिली, लाही, अलसी, जवा एवं गेहूं आदि की भरती बोरों मेें होगी जबकि मटर, मसूर और चना की भरती बोरियों साठ किलो की होगी।
गौरतलब हैै कि शर्तों के साथ खुली गल्ला मंडी शर्तों के ही उल्लंघन में हर बार दो-चार दिनों में बंद होती रही थी। इसके बाद पिछले कुछ दिनों से गल्ला मंडी सुचारु रूप से खुल रही थी और किसानों की परेशानी दूर होती नजर आ रही थी लेकिन अब वहां एक नई समस्या खड़ी हो गई हैै जिसके चलतेे एक बार फिर मंडी को तालाबंदी का शिकार होना पड़ा हैै। गल्ला मंडी के मजदूरों और पल्लेदारों ने 50 किलो वजन युक्त बोरी में ही कृषि उपज की तौल कराए जाने तथा मजदूरी बढाने की मांग कर डाली और सोमवार से काम न करने की घोषणा कर दी थी जिसे लेकर गल्ला व्यापारियों ने भी अपना व्यापार बंद रखने का फैसला ले लिया। अब पिछलेे दो दिनों से मंडी में व्यापार कार्य बंद हैै जिसके चलते एक बार पुन: किसान परेशान हाल देखे जा रहे हैं। बंदी की जानकारी के अभाव में तमाम किसान ट्रैक्टर ट्रॉली में अपनी कृषि उपज लेकर मंडी पहुंच रहे हैैं लेकिन उन्हें बैरंग घर बापिस लौटना पड़ रहा हैै। हालांकि मंगलवार को गल्ला व्यापारी समिति के अध्यक्ष अजय रावत नेे बताया हैै कि पल्लेदार यूनियन और व्यापारियों के बीच समझौता हो गया हैै, गुरुवार सेे मंडी फिर से खुलेगी। अध्यक्ष रावत के अलावा मजदूर यूनियन के अध्यक्ष धर्मेंद्र यादव, राजकुमार अग्रवाल बबलू, ज्ञानेंद्र सेठ, राजेश मिश्रा, विजयकुमार गुप्ता भोले, विनोद द्विवेदी, राम मोहन रिछारिया, कैलाश कुशवाहा आदि की मौजूदगी में आम सहमति को अंतिम रूप दिया गया और समझौतेे की प्रति मंडी सचिव मलखानसिंह को दी गई है।